गैर-आदिवासी समझें कि पर्यावरण दिवस मनाने से पर्यावरण का संरक्षण नहीं होता !

आदिवासियों के लिए हरेक दिन पर्यावरण दिवस, पृथ्वी दिवस और प्रकृति दिवस है। प्राकृतिक संसाधनों को बेच खाने, जंगलों को उजाड़कर कांक्रीट का जंगल बसाने और पड़ों को काटकर महल बनाने वाले वर्ष में एक दिन पर्यावरण दिवस, पृथ्वी दिवस और प्रकृति दिवस मनाने हैं। गैर आदिवासियों को भी आदिवासी जीवन पद्धति और आदिवासी संस्कृति को अपना कर पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं। अब आपको तय करना है कि आप किसके तरफ हैं। सामाजिक कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग की एक रिपोर्ट ।

गैर-आदिवासी समझें कि पर्यावरण दिवस मनाने से पर्यावरण का संरक्षण नहीं होता !
Adiwasi Culture (File Image)

आदिवासियों को नीच, जंगली, असभ्य, पिछड़ा, गरीब, मुख्यधारा के बाहर और विकास विरोधी तथा स्वंय को शिक्षित, मुख्यधारा, सभ्य और विकसित कहने वाले गैर-आदिवासियों को यह जान लेना चाहिए कि पर्यावरणविद् कहलाने, वर्ष में एक दिन पौधा लगाने का नाटक करने, पर्यावरण बचाने के नाम पर पुरस्कार लेने, पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़ा-बड़ा भाषण देने और पर्यावरण दिवस मनाने से न पर्यावरण का संरक्षण हो सकता है, न प्रकृति की सुरक्षा हो सकती है और न ही पृथ्वी को बचाया जा सकता है।

प्राकृतिक संसाधनों - जमीन, जंगल, पहाड़, जलस्रोत और खनिज सम्पदाओं को बेच खाने और विकास के नाम पर प्राकृतिक जंगलों को नष्ट कर कांक्रीट जंगल बसाने वालों से धरती की रक्षा न हो पायेगी। गर्म हो रही धरती की रक्षा सिर्फ हम आदिवासी ही कर सकते हैं। हम आदिवासियों के जैसा प्रकृति को प्यार करना, प्रकृति के साथ जीना और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सिर्फ अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए करना ही धरती को बचाने का एकमात्र रास्ता है। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने वालों को पर्यावरण दिवस मनाने का नाटक बंद करना चाहिए।

आप लोगों को बता देना चाहते हैं कि हम आदिवासी जल, जंगल और जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें विकास विरोधी बोलना बंद करो क्योंकि हम लोग न सिर्फ आदिवासी समाज और प्रकृति को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं बल्कि तुम तथाकथित सभ्य, विकसित और शिक्षित लोगों का भविष्य भी हमारे संघर्ष पर निर्भर है। हम आदिवासियों के लिए हमारे जीवन का हरेक दिन पर्यावरण दिवस, पृथ्वी दिवस और प्रकृति दिवस है। प्राकृतिक संसाधनों को बेच खाने, जंगलों को उजाड़कर कांक्रीट का जंगल बसाने और पड़ों को काटकर महल बनाने वाले वर्ष में एक दिन पर्यावरण दिवस, पृथ्वी दिवस और प्रकृति दिवस मनाने हैं।