भव्य और दिव्य कुंभ के आयोजन के लिए वोट करना जरुरी

सिर्फ कुंभ के अद्वितीय आयोजन के लिए सरकार ने जितनी मेहनत की है उसी के लिए प्रयागवासियों को और सभी श्रद्धालुओं को भाजपा के लिए वोट करना चाहिए!।

भव्य और दिव्य कुंभ के आयोजन के लिए वोट करना जरुरी

डॉ. उमेश प्रताप सिंह  :

"जिया हो योगी महाराज!’, ‘जा मोदी जी 5 साल और राज करा", ‘भैया अइसन स्नान आजतक ना भयल रहल’...! संगम की रेती पर ऊपर से विमान से हो रही पुष्प वर्षा के बीच शाही स्नान के दौरान यह बेहद साधारण आमव्यक्ति के दिल से निकली आवाज थी! और शहरी भी दंग थे! ‘मजा आगया भाई!’. ‘क्या दिव्य व्यवस्था किया है योगी ने!’, ......”दिव्य कुंभ, भव्य कुंभ” के नारे के साथ शुरू हुआ इस बार का कुंभ सचमुच भव्यता और दिव्यता को परिभाषित करता दिख रहा था! दिव्यता और भव्यता के साक्षात दर्शन कर रहे लोगों की कल्पनाएं काफी पीछे छूटती गई थीं! संगम की रेती पर उमड़ा जनसैलाब ने यहां की व्यवस्थाओं और सुविधाओं से जो आत्म संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्त की, उससे मोदी और योगी के लिए दिल से आशीर्वाद निकल रहे थे। यहां की व्यवस्थाएं देखकर आश्चर्यचकित और सुविधाएं देखकर मुदित थे लोग!

आजादी के बाद पहली बार देश और प्रदेश में सत्तारूढ़ किसी सरकार ने विश्व के इस सबसे बड़े समागम को जिस प्रकार की भव्यता, दिव्यता और पवित्रताप्रदान की, जिस प्रकार से आस्था के इस कुंभ में धर्म और अध्यात्म की चेतना के लिए परिवेश तैयार किया, इस समागम को एक नई ऊंचाई और भव्यता देने के लिए जिस प्रकार से अपनी झोली खोल दी, इसकी कल्पना तो हिंदू समाज ने भी नहीं किया था! 1987 से लेकर अब तक कुंभ और अर्ध कुंभ का ऐसा कोई आयोजन नहीं था जिसे मैंने बहुत नजदीक से ना देखा हो लेकिन इस बार का आयोजन अद्भुत एहसास दिलाने वाला था। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, पुरे देश, के ही  श्रद्धालु इस आस्था के संगम में डुबकी लगाने नहीं आए, बल्कि विदेशों से भी लाखों लोग यहां प्रयागराज संगम आए और यहां की भव्यता, दिव्यता और गंगा की पवित्रता के दर्शन कर धन्य हो गए! दिसंबर में कुंभ का आयोजन देखने आए 71 देशों के राजदूतों और प्रवासी भारतीयों ने गंगा और यमुना के जिस स्वरूप का दर्शन किया, वह निश्चित ही मोदी सरकार के दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम था! गंगा और यमुना का यह इतना स्वच्छ और निर्मल जल दशकों बाद देखने को मिला।

पहले की सरकारें कुम्भ के आयोजन की औपचारिकता पूरी करती थीं। इस बार की सरकार ने अमृत की अभिलाषा के लिए आए लोगों के लिए कुम्भ के आयोजन की व्यवस्था दिल से की । प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर सरकार के सभी मंत्रियों का मन जैसे प्रयाग में ही रमा हो। ऐसा कोई पर्व नहीं था जबकि सरकार के मंत्री और बड़े-बड़े अधिकारी और नेता संगम की ओर खींचे ना चले आए हों! यही नहीं इस बार उत्तर प्रदेश की सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोजक की भूमिका निभाते हुए, स्वागत  करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और सभी व्यवस्थाओं का लगातार जायजा लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के 200 देशों को भारत सरकार की ओर से कुंभ का न्योता दिया, देश के 6 लाख गांवों को अपनी तरफ से निमंत्रण भेजा।

इसका परिणाम यह था कि मुख्य स्नान को छोड़कर भी हर एक दिन श्रद्धालुओं की लगातार भीड़ बनी रही। सबसे बड़ी बात थी कि श्रद्धालुओं के मन मस्तिष्क में कहीं भी इस बार गंगा की निर्मलता को लेकर कोई सवाल नहीं था। गंगा में डुबकी लगाकर तन, मन और आत्मा सभी खिल उठटे थे! यह सरकार के उन प्रयासों का परिणाम था जोकि गंगा जल को निर्मल और स्वच्छ बनाने के लिए किए गए थे। यह विश्व का पहला आयोजन था जहां सवा लाख से अधिक शौचालय बनाए गए थे! लगभग 3200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले पूरे कुंभ क्षेत्र में सफाई देखने लायक थी। जगह जगह बड़ी बड़ी डस्टबिन थी, सफाई कर्मियों की संख्या पिछले कुंभ के मुकाबले दोगुनी से अधिक थी और पूरा कुंभ क्षेत्र पॉलिथीन मुक्त!

  प्रयाग कुंभ को भव्य और दिव्य बनाने के लिए योगी सरकार ने ‘प्रयागराज मेला प्राधिकरण’ का गठन कर यह सुनिश्चित कर दिया था कि सरकार कुंभ के आयोजन के लिए किस तरह प्रतिबद्ध है! एक निश्चित समय के भीतर सभी कार्य पूर्ण हो, इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी समीक्षा के लिए कई बार प्रयाग आए भी। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर इसकी भव्यता में चार चांद लगा दिया, शहर को उसका खोया हुआ गौरव मिला।

यदि आप दिसंबर के बाद सीधे मार्च में 2019 इलाहाबाद पहुंच रहे हैं तो आप शायद यहाँ के चौराहों की शक्ल पहचान नहीं पाएंगे! जिसे आपने 3-4 महीना पहले देखा हो आपको विश्वास नहीं होगा कि आप उन्हीं सड़कों पर चल रहे हैं! एक लंबे समय बाद नही, यदि आप इस शहर में 6 महीने बाद आए हैं तो आपको विश्वास नहीं होगा कि यह वही शहर जिसे आप अभी कुछ महीने पहले छोड़ कर गए थे! बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन और  सिविल एयरपोर्ट तक, मुख्य सड़कों से ले कर गलियों तक, छोटे-बड़े चौराहों से लेकर नालों और पार्कों तक, जिस मात्रा में कार्य हुआ है, वह अभूतपूर्व है! सड़कें जहां दूधिया रोशनी में चकाचौंध है, वहीं मोहल्ले एक नए रंग में दिल खोलकर स्वागत कर रहे हैं !खुली-खुली सड़कें पेड़ों के कट जाने से भले ही नंगी हो गई हो, लेकिन जैसे अपनी नई जवानी पाकर उन्मुक्त होकर स्वागत करने के लिए बेताब लगती हैं! प्रयागराज वासी पिछले डेढ़-दो वर्षों से गड्ढे भरी सड़कों और धूल भरी हवा से त्रस्त और दुखी हो गए थे। लेकिन अचानक ही जैसे वह सारे दुख भूल गए और दिल खोलकर आस्था में डुबकी लगाने वालों का रास्ता देखा, स्वागत किया और योगी और मोदी की कर्मठता, प्रतिबद्धता और कार्यों को देख कर वाह-वाह कर उठे!

जिन मोहल्लों में तोड़फोड़ हुई, जिनके घर बुलडोजर ने ढहा दिए, जिनके आशियाने छोटे हो गए, वह भी यह देखकर के दंग थे कि मंदिर, मस्जिद, मजार सब एक भाव से सड़कों से हटाए जा रहे हैं! और इसलिए पूरी जनता ने इसमें बिना भेदभाव के पूरा सहयोग दिया! यह योगी सरकार की एक बहुत बड़ी सफलता रही।यह सरकार की ईमानदार कोशिशों का अपार जनसमर्थन था!

सड़के हो या चौराहे, सड़कों के साथ चल रही दीवारें हो या पार्क, एक अद्भुत छटा बिखेरते दीखेंगे! शहर में किसी भी दिशा से प्रवेश करें, आपको लगेगा जैसे किसी धर्म नगरी में आ गए! भवनों, दीवारों, पुलों और पुलों के खंभों के सहारे धर्म शास्त्रों में वर्णित कथाओं से संबंधित चित्रों को इस खूबसूरती से उकेरा गया है कि आप देखते रह जायँ! भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले वीरों और घटनाओं के चित्र हों या साधना में लीन संतों के,समुंद्र मंथन से लेकर मंथन से निकली वस्तुएँ हो या  वेदों पुराणों में वर्णित अन्य घटनाएँ, आपको शहर कि यह सज्जा भाव विभोर कर देगी। दूसरी तरफ प्रयागराज की जनता को मिले चार  फ्लाईओवर और चौड़ी सड़कों के साथ भीड़ को  समाहित कर लेने वाले चौराहे देखकर आपको अगले ही क्षण किसी मेट्रो सिटी में होने का एहसास होगा! इन कार्यों ने अब यह भुला दिया है कि 'जाम' क्या होता है! शहर में आप अपनी फोरव्हीलर से 40 से 60 की स्पीड में इस तरह भागते हैं जैसे हाईवे पर चल रहे हों!

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए यह आयोजन कितना महत्वपूर्ण था इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनका एक पैर कुंभ के समाप्त होने तक इलाहाबाद में ही रहा और एक-एक कार्यों  पर उनकी गहरी नजर थी। पहले स्थानीय प्रशासन ने 2900 हेक्टेयर भूमि, मेले के लिए, अधिग्रहित की थी जिसे बढ़ाकर योगी जी ने 3213 हेक्टेयर करने का आदेश दिया । पिछले वर्ष कुंभ में जहां 5 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया और उसका बजट 200 करोड़ मात्र था, इस बार के लिए 2500 करोड़ से ज्यादा का बजट सरकार ने दिया और कुंभ में लगभग 25 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया  और अनेक रिकॉर्ड ध्वस्त हुए। प्रधानमंत्री मोदी 6 दिसंबर 2018 को प्रयागराज कुंभ के आयोजन के लिए पूजा-पाठ की, 4000  करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया, अक्षयवट और सरस्वती कूप को आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोलने की घोषणा की।

संगम से बहुत कम दूरी पर 84 पार्किंग स्थलों का निर्माण किया गया था, 525 से अधिक शटल बसें और सैकड़ों सीएनजी ऑटो श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र और संगम लाने जाने के लिए चलाए गए थे । मेला क्षेत्र की सभी सड़कें और तंबू जैसे स्वागत के लिए पूरी तरह से नहा धोकर तैयार हों! मेला क्षेत्र की चौड़ी और विशाल सड़कें जैसे अपनी बाहों में लोगों को समेटने के लिए तैयार हों!

  सड़कों के किनारे लगे टेंट अपनी नवीनता और भव्यता से श्रद्धालुओं को एक अलग ही एहसास दिला रहे थे! व्यवस्थित एवं सहज यातायात के लिए मेला क्षेत्र, शहर एवं आवागमन के क्षेत्र में डिजिटल संकेतन की व्यवस्था की गई थी। स्वच्छता और स्वास्थ्य परक सफाई के लिए लगभग 125000 शौचालय स्थापित किए गए थे और आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया गया था। 20,000 से अधिक डस्टबिन लगाए गए थे, मेला क्षेत्र से कचरे को बाहर करने के लिए 120 टिप्पर्स एवं 40 कंपैक्टर्स लगाए गए थे। पूरे मेला क्षेत्र में 40,000 से अधिक एलइडीबल्ब से इस को भव्य बनाने का कार्य किया गया था। मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए सरकार ने एक तरफ बड़े-बड़े  रैन बसेरों की व्यवस्था की थी तो दूसरी ओर टेंट सिटी में 50,000 से अधिक कॉटेज बनाए गए थे जो कि किसी फाइवस्टार होटल को मात दे रहे थे ! 20 सेक्टर में बसे मेले में प्रत्येक सेक्टर में 1000 से लेकर 2000 बेड के रेन बसेरे बनाए गए थे। ऐतिहासिक स्मारकों को और पुलों को एल ई डी लाइट की रोशनी से जगमग किया गया था।

कुंभ मेले की ब्रांडिंग के लिए लगभग 100 देशों में रोड शो किए गए । 5000 स्विसकॉटेज और 20000 विदेशी टूरिस्टओं के लिए डॉरमेट्री का निर्माण किया गया, 20 भाषाओं में मार्गदर्शक बोर्ड लगाए गए, 50 हेक्टेयर में टेंट सिटी बनाई गई । उनकी सहूलियत के लिए ब्रेड एवं ब्रेकफास्ट योजना की शुरुआत की गई, प्रदेश सरकार की उन व्यवस्थाओं और सुविधाओं का यदि आप खाका बनाएं तो आप यह देखकर दंग रह जाएंगे कि हिंदुओं के इस सबसे बड़े आयोजन को दिव्य और भव्य ही नहीं बल्कि वैश्विक बनाने के लिए भाजपा सरकार ने किस स्तर की तैयारी और मेहनत की थी!

यही नहीं प्रयागराज कुंभ में 5 विशाल सांस्कृतिक पंडाल स्थापित किए गए थे। मैंने गंगा पंडाल जैसा विशाल पांडाल इसके पहले कभी नहीं देखा था! इसमे रोज संगीत प्रस्तुति से लेकर पारंपरिक एवं लोक नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की पूरी श्रृंखला का आयोजन किया गया। यही नहीं शहर के विभिन्न चौराहों पर सांस्कृतिक और लोक कार्यक्रमों के करने की व्यवस्था की गई थी, और मुख्य स्नान से एक दो दिन पूर्व इन चौराहों पर देखने वालों की भीड़ लग जाती थी।

इस कुंभ की एक और उपलब्धि रही नेत्र कुम्भ, जिसमें प्रतिदिन लगभग दो हजार से अधिक लोगों की आंखों की जांच की गई और 1000 से अधिक लोगों को चश्मा बना कर दिया गया। यह एक अद्भुत आयोजन था। इसकी व्यवस्था देख रहे सत्य विजय सिंह जी ने बताया कि इस अवधि में आने वाले मरीजों के कार्निया, मोतियाबिंद, भैंगापन, ग्लूकोमा और ऐसी ही कई गंभीर बीमारियों का परीक्षण किया गया और बिल्कुल मुफ्त दवा और चश्मा दिया गया। साथ ही श्रद्धालुओं को नेत्रदान के लिए भी प्रेरित किया गया। सक्षम संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 400 से अधिक नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं दी, जो कि विभिन्न राज्यों से आए थे । 12 जनवरी से 5 मार्च तक चले इस नेत्र कुंभ में 20 क्लीनिक एक साथ चली। क्लीनिक में दो नेत्र विशेषज्ञ, एक टेक्नीशियन और दो आप्टोमोलॉजिस्ट मौजूद थे। पूरे कार्यक्रम अवधि में 5 लाख लोगों से अधिक के नेत्र परीक्षण किए गए और 1लाख से अधिक लोगों को चश्मे का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए संघ के सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल ने सक्षम संस्था के इस सेवा कार्य को अत्यंत प्रशंसनीय बताया था।

एक स्थान पर सबसे ज्यादा भीड़ एकत्र करने, सबसे बड़े स्वच्छता अभियान और सार्वजनिक स्थल पर सबसे बड़े चित्रकला कार्यक्रम के आयोजन के साथ प्रयागराज कुंभ मेला 2019 ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल करा लिया। 28 फरवरी को लगभग 503 शटल बसें एक साथ राजमार्ग पर रहीं, कुंभ की सफाई के लिए 10,000 कर्मियों ने साथ-साथ ही अपनी ड्यूटी की।

इस कुंभ मेले में देश-विदेश की बड़ी सहभागिता रही। इतना बड़ा धार्मिक समागम मोदी और योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का तो एक पैर जैसे प्रयागराज में ही रहा। ऐसे कई अवसर आए जब उन्होंने प्रयागराज में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। योगी कैबिनेट की बैठक और पूरी कैबिनेट का स्नान राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का केंद्र रहा। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के राज्यपालों ने भी संगम में डुबकी लगाई। कई राज्यों के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री भी खुद को संगम में डुबकी लगाने से रोक नहीं पाए।

स्वच्छताकर्मियों के खुद प्रधानमंत्री ने पैर पखारे। भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी प्रधानमंत्री ने स्वच्छताकर्मियों के पद प्रच्छालन किए हों। सामाजिक समरसता और अस्पृश्यता निवारण का इससे बड़ा उदाहरण और कोई नहीं हो सकता।

(ये लेखक के अपने विचार हैं। लेखक पेशे से प्रोफेसर हैं और एकेडमिक्स फॉर नमो संगठन से जुड़े हैं)