न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे बने देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश, 17 महीने तक रहेंगे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,23 अप्रैल 2021 को होंगे सेवानिवृत्त

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे ने देश के सोमवार को 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद एवं गोपनियता की की शपथ दिलवाई। 63 वर्षीय न्यायमूर्ति बोबडे मौजूदा प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का स्थान लेंगे। न्यायमूर्ति बोबडे 17 महीने तक उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद पर रहेंगे और 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे बने देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश, 17 महीने तक रहेंगे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,23 अप्रैल 2021 को होंगे सेवानिवृत्त
Pic of Oath Ceremony of Justice Sharad Arvind Bobde
न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे बने देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश, 17 महीने तक रहेंगे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,23 अप्रैल 2021 को होंगे सेवानिवृत्त
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न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे बने देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश, 17 महीने तक रहेंगे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,23 अप्रैल 2021 को होंगे सेवानिवृत्त
न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे बने देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश, 17 महीने तक रहेंगे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,23 अप्रैल 2021 को होंगे सेवानिवृत्त

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे ने देश के सोमवार को 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद एवं गोपनियता की की शपथ दिलवाई। 63 वर्षीय न्यायमूर्ति बोबडे मौजूदा प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का स्थान लेंगे। न्यायमूर्ति बोबडे 17 महीने तक उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद पर रहेंगे और 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति अरविंद बोबडे ने कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसलों में अहम भूमिका निभाई है। हाल ही में अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने के फैसले में भी वह शामिल रहे हैं। अगस्त 2017 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता में नौ न्यायाधीशों की पीठ ने एकमत से, निजता के अधिकार को भारत में संवैधानिक रूप से संरक्षित मूल अधिकार होने का फैसला दिया था। इस पीठ में भी न्यायमूर्ति बोबडे शामिल थे।

न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता में ही उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को, उन पर न्यायालय की ही पूर्व कर्मी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप में क्लीन चिट दी थी। इस समिति में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं। ऐसा माना जा रहा है कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति या उनके नाम को खारिज करने संबंधी कोलेजियम के फैसलों का खुलासा करने के मामले में भी न्यायामूर्ति अरविंद बोबडे पारंपरिक दृष्टिकोण अपनाएंगे।

न्यायमूर्ति बोबड़े ने 1978 में नागपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र में नामांकन दर्ज किया। उन्होंने 21 साल तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की और सुप्रीम कोर्ट में भी पेश हुए। उन्हें 1998 में वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया और बाद में मार्च 2000 में बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।

आपको बताते चलें कि न्यायमूर्ति बोबडे महाराष्ट्र के वकील परिवार से आते हैं और उनके पिता अरविंद श्रीनिवास बोबडे भी मशहूर वकील थे। वरिष्ठता क्रम की नीति के तहत निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने उनका नाम केंद्र सरकार को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर भेजा था। न्यायमूर्ति बोबडे को सीजेआई पद पर नियुक्त करने के आदेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत किए जिसके बाद विधि मंत्रालय ने उन्हें भारतीय न्यायपालिका के शीर्ष पद पर नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की।