बेवजह नाराज हो रहे हैं वी डी सावरकर पर भूपेश बघेल की टिप्पणी से

ये वोट की बात नहीं, ये तथ्य की बात है! कुछ लोग बेवजह नाराज हो रहे हैं-वी डी सावरकर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टीप्पणी से! पर श्री बघेल ने कुछ भी ग़लत नहीं कहा! 

बेवजह नाराज हो रहे हैं वी डी सावरकर पर भूपेश बघेल की टिप्पणी से
Veer Sawarkar (File Photo)

उर्मिलेश उर्मिल : 

ये वोट की बात नहीं, ये तथ्य की बात है! कुछ लोग बेवजह नाराज हो रहे हैं-वी डी सावरकर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टीप्पणी से! पर श्री बघेल ने कुछ भी ग़लत नहीं कहा! 

यह तो एक दस्तावेजी सच है कि सावरकर ने 1937 में द्विराष्ट्र के अपने विवादास्पद सिद्धांत को सार्वजनिक मंच से व्याख्यायित किया था। एम ए जिन्ना की विवादास्पद दो राष्ट्र थीसिस से काफी पहले! हां, समय और संदर्भ में अंतर के कारण दोनों की दलीलों में कुछ फर्क था! पर दोनों में दो राष्ट्र(हिंदू और मुसलमान को अलग-अलग राष्ट्र मानने) की ही थीसिस थी! 

इतिहास के एक विद्यार्थी के नाते एक और दिलचस्प बात बताऊं, श्री सावरकर के 1937 में व्यक्त इन विचारों के बीज काफी पहले(सन् 1923) लिखी गई उनकी विवादास्पद किताब 'Hindutwa' में मिल जाते हैं! इस किताब को आज फिर से पढ़े जाने की ज़रूरत है! 

'हिंदुत्व' शब्द का पहला प्रयोग संभवतः सावरकर ने ही किया था! अपनी तमाम नकारात्मकताओं के साथ सावरकर का एक 'सकारात्मक पक्ष' भी था कि वह हिंदू उपासना पद्धति से शूद्रों को वंचित रखने की जोरदार मुखालफत करते थे। अपने कई माफीनामो के बाद ब्रिटिश हुकूमत द्वारा जेल से छोड़े जाने के बाद उन्होंने रत्नागिरी में हिंदू सुधार के कुछ कार्यक्रम भी चलाए! 

कुछ साल पहले जब मैं रत्नागिरी में था तो सावरकर से जुड़े उन स्थानों और कुछ दस्तावेजों को भी देखने गया! अभी वह नोटबुक खोजूंगा, जो सन् 2004 की अपनी रत्नागिरी यात्रा के दौरान मैं साथ ले गया था! उसमें बहुत सारे दिलचस्प और अनकहे तथ्य मिलेंगे!

यह तो पूरी दुनिया जानती है कि गांधी जी की नृशंस हत्या में गोडसे के साथ वह भी एक अभियुक्त थे। गोडसे और कुछ अन्य दोषी साबित हुए! सावरकर साक्ष्य के अभाव में बरी हो गए! पर यह भी एक सर्वज्ञात तथ्य है कि गोडसे उनसे लंबे समय से जुड़ा था!

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)