आर्म्स डीलर संजय भंडारी पर सीबीआई का शिकंजा, आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का मामला दर्ज
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने पिलैटस विमान सौदे मामले में विवादास्पद हथियार डीलर संजय भंडारी समेत कई अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने भंडारी की कंपनियों ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस एफजेडसी समेत कुछ और लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के प्रावधानों में मामला दर्ज किया गया है।
सीबीआई ने जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है,उनमें संजय भंडारी के आलावा भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के एक अज्ञात अधिकारी भी शामिल हैं। इन सभी पर वर्ष 2009 के 75 पिलैटस बेसिक ट्रेनर विमान खरीद मामले में भ्रष्टाचार करने का आरोप है। सीबीआई के अधिकारियों ने संजय भंडारी के ठिकानों पर छापेमारी कर कई अहम दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई द्वारा यह कार्रवाई तीन साल पुरानी जांच के नतीजों के बाद की गई,जिसमें आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार का मामला पाया गया। जांच एजेंसी ने भारतीय वायुसेना, रक्षा मंत्रालय के एक अज्ञात अधिकारी के साथ ही स्विटजरलैंड स्थित पिलैटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड के अनाम अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि स्विस कंपनी 2009 में मांगी गई निविदाओं के लिए आवेदकों में से एक थी।
सीबीआई का आरोप है कि कंपनी ने ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों भंडारी और बिमल सरीन के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और भंडारी के साथ जून 2010 में बेईमानी और धोखे से एक सेवा प्रदाता समझौते पर हस्ताक्षर किए,जो रक्षा खरीद प्रक्रिया 2008 का उल्लंघन था। यह कथित तौर पर भारतीय वायुसेना को 75 प्रशिक्षण विमानों की आपूर्ति के ठेके के लिए किया गया।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के खाते में 10 लाख स्विस फ्रैंक का भुगतान किया। यह रकम अगस्त और अक्टूबर 2010 में नई दिल्ली के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के खाते में अदा की गई थी। इसके अलावा भंडारी की ही दुबई स्थित कंपनी ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस एफजेडसी के बैंक खातों में 2011 से 2015 के बीच 350 करोड़ रुपये मूल्य के स्विस फ्रैंक का भुगतान किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि जांच में पाया गया कि पिलैटस ने कथित तौर पर भारत और दुबई में भंडारी की कंपनी को अदा की गई रकम की बात छिपाई। उन्होंने कहा कि संदेह है कि इस रकम का इस्तेमाल खरीद के लिये भारतीय वायुसेना, रक्षा मंत्रालय और सरकारी अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए किया गया था। पिलैटस को 24 मई 2012 को 2895.63 करोड़ रुपये का यह करार मिला था।
उन्होंने बताया कि सीबीआइ ने सौदे के संबंध में भंडारी के आवास और कार्यालय में छापेमारी भी की। एजेंसी ने कहा कि स्विट्जरलैंड आधारित पिलैटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड को सीबीआइ ने खरीद में अनियमितताओं और 339 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोपों में भी आरोपी बनाया है।
ईडी और इनकम टैक्स की जांच के दायरे में भी
संजय भंडारी इनकम टैक्स और ईडी की जांच के दायरे में भी है। आयकर विभाग ने पिछले साल उसके कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। ईडी ने भंडारी की करीब 20 करोड़ की संपत्ति और चार महंगी कारों को जब्त किया था। भारत सरकार भंडारी के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है। बताया जाता है कि वह इन दिनों लंदन में रह रहा है। सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से भी उसके संबंध बताये जाते हैं।
कई अन्य देशों में है कारोबार
वर्ष 2015 में उसके ठिकानों पर हुई छापेमारी की दौरान आसमान में उड़ान के दौरान ही ईंधन भरने वाले विमानों की खरीद के लंबित प्रस्ताव से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए थे। ओआइएस कंपनी के नाम से भंडारी का कई देशों में कारोबार है।
ऐसे बढ़ा भंडारी का रसूख
जांच एजेंसियों के मुताबिक हथियार के कारोबार में आने से पहले संजय भंडारी कनॉट प्लेस में अपने पिता की होम्योपैथिक क्लिनिक चलाता था। साल 2008 में उसका रसूख उस वक्त बढ़ा, जब डिफेंस कॉलोनी के एक प्रॉपर्टी डीलर ने हाइ-प्रोफाइल लोगों से उसकी मुलाकात करवाई। इसके बाद ही नेताओं और बड़े अधिकारियों की मदद से भंडारी ने हथियारों की डीलिंग शुरू कर दी। दक्षिणी दिल्ली में रहने वाले भंडारी के घर पर छापे के दौरान ही पता चला था कि कुछ ही दिनों में वह कैसे करोड़पति बन गया।
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