जानिए, जापान में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में क्या होगा भारत का शीर्ष एजंडा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के ओसाका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। बैठक में वित्तीय स्थिरता, डब्ल्यूटीओ सुधार, कालाधन और आतंकवाद का मुद्दा भारत के एजेंडा में शीर्ष पर होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ये जानकारी साझा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के ओसाका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। बैठक में वित्तीय स्थिरता, डब्ल्यूटीओ सुधार, कालाधन और आतंकवाद का मुद्दा भारत के एजेंडा में शीर्ष पर होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ये जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इस साल जी-20 सम्मेलन ओसाका में 27 जून से 29 जून तक चलेगा। जी-20 विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों का संगठन है। ये छठा मौका होगा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन का हिस्सा बनेंगे।
रवीश कुमार के मुताबिक शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष, यूरोपीय संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भी शामिल होंगे। ओसाका में विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के 14 वें सम्मेलन में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु भारत के शेरपा होंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन भाग लेने के अलावा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें भी करेंगे, जिसकी घोषणा आगे की जाएगी।
रवीश कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो पिछले महीने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्रंप से यह पहली मुलाकात होगी। दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के बीच दोनों नेताओं की मुलाकात काफी ध्यान आकर्षित करेगी।
इस बीच सुरेश प्रभु ने बताया कि लंबे समय से, खासतौर पर 2008 की आर्थिक मंदी के बाद जी-20 एक बहुत महत्वपूर्ण वैश्विक मंच हो गया है। जी-20 के सदस्य देश विश्व की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में करीब 85 प्रतिशत का योगदान करते हैं। प्रभु ने सम्मेलन में भारत के एजेंडा के बारे में बात करते हुए कहा कि भारत ऊर्जा सुरक्षा, वित्तीय सुरक्षा, बहुपक्षवाद में सुधार करना और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करेगा।
उन्होंने बताया कि हमारा मानना है कि डब्ल्यूटीओ को मजबूत करना चाहिए और इसे एक ऐसा संगठन बनाना चाहिए जिसके जरिए वैश्विक व्यापार का नियमन किया जा सके। प्रभु ने कहा कि भगोड़े आर्थिक अपराधी, आतंकवाद का मुद्दा, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, आपदा को सहन कर पाने मं् सक्षम बुनियादी ढांचे और खाद्य सुरक्षा का मुद्दा भी भारत उठाएगा।
सुरेश प्रभु ने कहा कि शिखर सम्मेलन में चर्चा के लिए विषय मुक्त व्यापार और आर्थिक वृद्धि तथा कराधान, वित्त, डिजिटल अर्थव्यवस्था और कृत्रिम बुद्धिमतता (एआई), समावेशी एवं सतत विश्व, ऊर्जा एवं पर्यावरण, गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा, वैश्विक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और समुद्री प्लास्टिक कचरा सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था आदि हैं।
बढ़ते संरक्षणवाद और विश्व के शक्तिशाली देशों के बीच व्यापार युद्ध के बारे में पूछे जाने पर प्रभु ने कहा कि भारत व्यापार के मुक्त प्रवाह का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। जापान की अध्यक्षता में हो रहे इस शिखर सम्मेलन का थीम ‘मानव केंद्रित भविष्य का समाज’ है।
जी- 20 शिखर सम्मेलन से इतर ब्रिक्स देशों के नेताओं की अनौपचारिक बैठक और अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी। जी-20 के सदस्य देशों में भारत, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।
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