Corona Effect : कोरोना ने अर्थव्यवस्था, कारोबार और रोजगार पर डाला प्रतिकूल प्रभाव,FICCI और ASSOCHAM ने मांगा 15 से 22 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज  

दुनिया के तमाम देश इन दिनों कोरोना की चपेट में हैं। कोरोना के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बदहाल है। भारत की स्थिति भी बेहतर नहीं है। कोरोना और लॉकडाउन के कारण इन दिनों देश की अर्थव्यवस्था और देश के उद्योग-कारोबार बेहद प्रतिकूल प्रभाव है। लिहाजा, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए 15 से 22 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है।

Corona Effect : कोरोना ने अर्थव्यवस्था, कारोबार और रोजगार पर डाला प्रतिकूल प्रभाव,FICCI और ASSOCHAM ने मांगा 15 से 22 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज  
Pic Building of FICCI
Corona Effect : कोरोना ने अर्थव्यवस्था, कारोबार और रोजगार पर डाला प्रतिकूल प्रभाव,FICCI और ASSOCHAM ने मांगा 15 से 22 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज  

दुनिया के तमाम देश इन दिनों कोरोना की चपेट में हैं। कोरोना के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बदहाल है। भारत की स्थिति भी बेहतर नहीं है। कोरोना और लॉकडाउन के कारण इन दिनों देश की अर्थव्यवस्था और देश के उद्योग-कारोबार बेहद प्रतिकूल प्रभाव है। लिहाजा, एक के बाद एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक-औद्योगिक संगठनों की रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं।

इन रिपोर्टों में सरकार को विशेष आर्थिक राहत पैकेज देने का सुझाव दिया जा रहा है। हाल ही में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए सरकार से करीब 15 लाख करोड़ से 22 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है।

केंद्र सरकार से इन संगठनों ने यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए और इसमें मांग पैदा करने के लिए आगामी 3 महीनों तक जीएसटी की दरें आधी कर दी जाएं। इन संगठनों ने रिजर्व बैंक से भी मांग की है कि Žब्याज दरों में एक फीसद की कटौती और की जाए। इसी तरह भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा प्रकाशित ‘सीईओ स्नैप’ पोल से खुलासा हुआ है कि उद्योग-कारोबार के राजस्व में भारी गिरावट आ रही है।

रोजगार पर प्रतिकूल असर हो रहा है। स्थिति यह है कि उद्योगों के उत्पादन से वितरण तक सभी चरणों में कदम-कदम पर मुश्किलें दिखाई दे रही हैं। ऐसे में उद्योग-कारोबार को बचाने के लिए सरकार द्वारा विशेष और व्यापक राहत पैकेज जल्दी ही दिया जाना जरूरी है।