Corona Effect : लॉकडाउन के करण मुश्किलों में घिरा देश का उद्योग-कारोबार,कंपनियों के CEO सरकार से कर रहे हैं व्यापक राहत पैकेज की मांग

देश में कोरोना महामारी के कारण 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। इसे और बढ़ाए जाने की पूरी संभावना है। पहले से ही आर्थिक मंदी का का सामना कर रहे देश का उद्योग और कारोबार चारों ओर से मुश्किलों से घिर गया है। ऐसे में अब तक सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दी गई बैंकिंग राहत पर्याप्त नहीं है। इसके लिए एक व्यापक राहत पैकेज घोषित किए जाने की आवश्यकता है।

Corona Effect : लॉकडाउन के करण मुश्किलों में घिरा देश का उद्योग-कारोबार,कंपनियों के CEO सरकार से कर रहे हैं व्यापक राहत पैकेज की मांग
Pic of sealing and Lockdown
Corona Effect : लॉकडाउन के करण मुश्किलों में घिरा देश का उद्योग-कारोबार,कंपनियों के CEO सरकार से कर रहे हैं व्यापक राहत पैकेज की मांग
Corona Effect : लॉकडाउन के करण मुश्किलों में घिरा देश का उद्योग-कारोबार,कंपनियों के CEO सरकार से कर रहे हैं व्यापक राहत पैकेज की मांग
Corona Effect : लॉकडाउन के करण मुश्किलों में घिरा देश का उद्योग-कारोबार,कंपनियों के CEO सरकार से कर रहे हैं व्यापक राहत पैकेज की मांग

देश में कोरोना महामारी के कारण 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। इसे और बढ़ाए जाने की पूरी संभावना है। पहले से ही आर्थिक मंदी का का सामना कर रहे देश का उद्योग और कारोबार चारों ओर से मुश्किलों से घिर गया है। ऐसे में अब तक सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दी गई बैंकिंग राहत पर्याप्त नहीं है। इसके लिए एक व्यापक राहत पैकेज घोषित किए जाने की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि इस सर्वेक्षण में भारत के उद्योग और कारोबार जगत के जिन मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने भाग लिया था,उनका कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋण के भुगतान पर तीन महीने की छूट की अवधि बढ़ाकर कम से कम एक वर्ष की जानी चाहिए। इसके अलावा कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए कंपनियों से फिलहाल टै€क्स नहीं लिया जाना चाहिए या उनके आयकर पर उपयुक्त कटौती की जानी चाहिए।

सीईओ द्वारा इस सर्वेक्षण में यह भी मांग की गई कि सरकार द्वारा देश की जीडीपी में योगदान देने वाले सभी घटकों को जीडीपी के करीब दस प्रतिशत का हिस्सा समग्र आर्थिक पैकेज के रूप में दिया जाना चाहिए। भारतीय दवा उद्योग, वाहन उद्योग, केमिकल उद्योग, खिलौना कारोबार के साथ ही इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अनेक क्षेत्र मुश्किलों का सामना करते दिखाई दे रहे हैं और इन क्षेत्रों में रोजगार की चुनौतियां बढ़ गई हैं।

इतना ही नहीं हम चीन को जिन वस्तुओं का निर्यात करते हैं,वे उद्योग और कारोबार भी कोरोना वायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। चीन सहित विभिन्न देशों को निर्यात के सौदे रुक गए हैं,जिससे इस क्षेत्र में भी नई रोजगार चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं। न केवल चीन पर आधारित आयात-निर्यात घटा है, बल्कि देश के संपूर्ण आंतरिक उद्योग-कारोबार और विदेश व्यापार में भी कमी आ गई है।

अर्थव्यवस्था पर यदि हम इसके प्रभाव का अध्ययन करें तो पाएंगे कि पिछले महीने मार्च में देश में वाहनों की बिक्री में 50 फीसदी की कमी आई है। जीएसटी की प्राप्ति में 20 फीसद की गिरावट आई है। पेट्रोल और डीजल की खपत में 20 प्रतिशत की कमी आई है। बिजली की खपत में भी 30 प्रतिशत की कमी आई है।

स्थिति ये है कि लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में बड़ा संकुचन आ गया है। देश के कुल कार्यबल में गैर-संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी 90 फीसदी है। साथ ही देश के कुल कार्यबल में 20 प्रतिशत लोग रोजाना मजदूरी प्राप्त करने वाले हैं। इन सबके कारण देश में चारों ओर रोजगार संबंधी चिंताएं और अधिक उभर कर दिखाई दे रही हैं।

लॉकडाउन के कम होने और नियंत्रण घटने के बाद भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि स्थितियों में सुधार धीरे-धीरे ही आएगा। संकुचित हुई अर्थव्यवस्था को आगे बढऩे में कोई एक वर्ष का समय भी लग सकता है। निश्चित रूप से बंद पड़ी कंपनियों को दोबारा काम शुरू करने में समय लगेगा। उद्योग-कारोबार के अनुकूल वातावरण के लिए भी लंबा समय लगेगा। रोजगार खोने वाले लोगों के परिवारों की क्रय शक्ति बढऩे में समय लगेगा।

निवेश को बढ़ाने में भी समय लगेगा। बैंकों के ऋण वितरण में रुकावटें दूर करने और सामान्य कार्यप्रणाली बहाल करने में भी समय लगेगा। इन सब के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में कई उद्योग-कारोबार और बड़ी कंपनियां अनुभव करते हुए दिखाई देंगे कि यह उनके लिए एक खोया हुआ वर्ष बनकर रह गया है।

अमेरिका, इटली और जापान जैसे देशों ने जिस तरह कोरोना वायरस से प्रभावित कर्मचारियों को बेरोजगारी लाभ देने की योजना बनाई है,उम्मीद की जानी चाहिए कि उसी तरह भारत सरकार भी वैसी ही योजना बनाकर देश औ देशवासियों का जीवन आसान करेगी।