भारत में कोरोना स्ट्रेन के कारण बढ़ रहा ब्लैक फंगस का संक्रमण? जानें क्या बोले एक्सपर्ट
देश में तेजी से बढ़ रहे ब्लैक फंगस संक्रमण म्यूकर माइकोसिस ने चिकित्सा विज्ञानियों की चिंता बढ़ा दी है। यह पहले से ज्ञात दुर्लभ बीमारी है, लेकिन एक महीने के भीतर पांच हजार से ज्यादा मामले देश में आ चुके हैं। इसलिए वैज्ञानिकों को आशंका जताने लगी है कि कोरोना के नए स्ट्रेन एवं इस बीमारी में कोई संबंध हो सकता है।
एम्स की न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख एमवी पद्मा श्रीवास्तव ने कहा कि इसके ज्ञात कारणों के अलावा हमें कोरोना के मौजूदा स्ट्रेन की भूमिका पर भी गहन शोध करने की जरूरत है। ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में पद्मा ने कहा कि यह देखे जाने की जरूरत है कि कोरोना का मौजूदा स्ट्रेन कहीं इस संक्रमण को बढ़ाने के लिए तो किसी रूप में जिम्मेदार नहीं है। आज की तारीख में हमें इसका पता नहीं है। लेकिन, जिस प्रकार से तेजी से यह मामले बढ़ रहे हैं। उसके मद्देनजर सभी संभावित पहलुओं पर गौर किए जाने की जरूरत है।
हालांकि कुछ संस्थानों ने इस पर अध्ययन आरंभ किए हैं। लेकिन, इन्हें जल्द से जल्द पूरा करना होगा। ताकि यदि इसमें कोरोना स्ट्रेन की भूमिका है तो उसका समय रहते पता लगे और उसके अनुरूप समाधान तलाश किया जाए।
तीन कारण जिम्मेदार
बता दें कि कोरोना की पहली लहर के दौरान इस प्रकार के संक्रमण के मामले गिने-चुने मिले थे। दूसरे देशों में भी इस प्रकार के संक्रमण बेहद कम मिले हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल में ब्लैक फंगस संक्रमण के लिए तीन कारणों को जिम्मेदार मान रहे हैं, जिनमें मधुमेह का संक्रमण, स्टेराइड का अधिक और असमय इस्तेमाल तथा आक्सीजन आपूर्ति में हाइजीन उपायों की कमी। म्यूकर का संक्रमण तब होता है, जब प्रतिरोधक तंत्र कमजोर हो। मधुमेह रोगियों में यह कमजोर होता है, लेकिन जब उन्हें अत्यधिक स्टेराइड दिया जाता है तो शुगर की मात्रा और बढ़ जाती है तथा इम्यूनिटी और कमजोर हो जाती है।
कई लोगों को मधुमेह होता है, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती। लेकिन, जिन लोगों को मधुमेह नहीं है, यदि वे भी ज्यादा स्टेडराइड लें तो उनकी शुगर बढ़ सकती है और इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है। इसलिए स्टेडराइड के इस्तेमाल को सीमित करना चाहिए और डॉक्टर की अनुमति से ही लेना चाहिए। इसे कब से कब तक लेना है, यह महत्वपूर्ण है, इसलिए चिकित्सकीय देखरेख जरूरत है। इसी प्रकार कोरोना संक्रमितों को शुगर पर नियंत्रण सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि जो कोरोना मरीज तरल ऑक्सीजन पर हैं, उन्हें इस दौरान आक्सीजन आपूर्ति में हाइजीन का विशेष ध्यान रखना होगा। म्यूकर माइकोसिस संक्रामक बीमारी नहीं है, लेकिन उपकरणों की डिस इंफेक्ट करने से फंगल संक्रमण के प्रसार से बचा जा सकता है।
Comments (0)