गाजियाबाद : क्लासिक रेजीडेंसी सोसाइटी में श्रीमद्भागवत पुराण कथा का आयोजन, परम श्रद्धेय भागवत भाष्कर आचार्य श्री ऋषि दीक्षित जी का सानिध्य प्राप्त करने हेतु उमड़ रहा है श्रद्धालुओं का सैलाब
गाजियाबाद के राजनगर राजनगर एक्सटेंशन स्थित क्लासिक रेजीडेंसी सोसाइटी में रहने वाले लोगों को इन दिनों संतों की संगति प्राप्त हो रही है। संतों की मधुर वाणी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही है। परम श्रद्धेय भागवत भाष्कर आचार्य श्री ऋषि दीक्षित जी के सानिध्य में श्रद्धालु सत्संग, कथा एवं प्रवचन का आनंद उठा रहे हैं।
बिनु सत्संग विवेक न होई। रामकृपा बिनु सुलभ न सोई।। अर्थात,सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और श्री रामजी की कृपा के बिना वह सत्संग सहज में नहीं मिलता। सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। मानव जीवन में इन तीन बातों का होना अनिवार्य है। यह बातें परम श्रद्धेय भागवत भाष्कर आचार्य श्री ऋषि दीक्षित जी ने श्री श्रीमद्भागवत पुराण कथा के दैरान कही।
आचार्य श्री ने कहा कि मानव जीवन में सत्संग, भगवद् भजन और परोपकार का अत्यंत गहन महत्व है। इनमें भी सत्संग की बड़ी भारी महिमा है। सत्संग का अर्थ है, सत् वस्तु का ज्ञान। परमात्मा की प्राप्ति और प्रभु के प्रति प्रेम उत्पन्न करने के लिए सत्पुरूषों को श्रद्धा एवं प्रेम से सुनना ही सत्संग है। उन्होंने कहा कि सत्संगति से मनुष्यों के भीतर की दुर्भावना दूर होती है।
गाजियाबाद के राजनगर राजनगर एक्सटेंशन स्थित क्लासिक रेजीडेंसी सोसाइटी में रहने वाले लोगों को इन दिनों संतों की संगति प्राप्त हो रही है। संतों की मधुर वाणी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही है। परम श्रद्धेय भागवत भाष्कर आचार्य श्री ऋषि दीक्षित जी के सानिध्य में श्रद्धालु सत्संग, कथा एवं प्रवचन का आनंद उठा रहे हैं।
क्लासिक रेजीडेंसी सोसाइटी में श्री सनातन धर्म आयोजन समिति की ओर से श्रीमद्भागवत पुराण कथा का आयोजन किया गया है। 24 नवंबर को कलश यात्रा से शुभारम्भ हुई श्रीमदभागवत पुराण कथा को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। पूरी सोसाइटी श्रद्धा एवं भक्ति में सराबोर है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा का श्रवण कर स्वयं को कृतार्थ कर रहे हैं।
परम श्रद्धेय भागवत भाष्कर आचार्य श्री ऋषि दीक्षित जी (श्रीधाम वंदावन) की सुमधुर वाणी श्रद्धालुओं को बरबस की मोहित कर रही हैं। उनकी कथा शैली ऐसी कि श्रद्धालु एक बार कथा स्थल पहुंच जाएं तो फिर आरती के उपरांत ही वहां से अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान करते हैं। आचार्य श्री ऋषि दीक्षित जी और उनकी मंडली में शामिल श्री विनीत आचार्य जी, आचार्य अरविंद जी, आचार्य भरत पराशर जी और आचार्य सोनू जी प्रतिदिन दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक कथा एवं प्रवचन करते हैं। कथा का समापण 1 दिसंबर, रविवार को होगा। पूर्णाहूति के दिन दोपहर 12:30 बजे से प्रसाद भंडारा का वितरण किया जाएगा।
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