क्या बिहार में राजनीति एक बार फिर लेगी करवट ? 

बिहार में एनडीए के दो सहयोगियों बीजेपी और जेडीयू के बीच दूरियां लगातार बढ़ती ही जा रही है। धारा 370 और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बीजेपी के रुख से जेडीयू बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखती है। गुरुवार को बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने न सिर्फ लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए तीन तलाक विधेयक का विरोध किया,बल्कि पार्टी के सभी सांसद सदस्य सदन से बाहर चले गए।

क्या बिहार में राजनीति एक बार फिर लेगी करवट ? 
Pic of Bihar Legislative Assembly Building
क्या बिहार में राजनीति एक बार फिर लेगी करवट ? 
क्या बिहार में राजनीति एक बार फिर लेगी करवट ? 
क्या बिहार में राजनीति एक बार फिर लेगी करवट ? 
क्या बिहार में राजनीति एक बार फिर लेगी करवट ? 
क्या बिहार में राजनीति एक बार फिर लेगी करवट ? 
क्या बिहार में राजनीति एक बार फिर लेगी करवट ? 

क्या बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच मतभेद है? क्या बीजेपी-जेडीयू के बीच के रिशतों में खटास आ गई है? क्या बीजेपी-जेडीयू के रिश्ते में तल्खी आ गई है? क्या नीतीश कुमार के मन में किसी बात को लेकर कोई मतभेद है? क्या अंदरखाने वाकई कोई हलचल है? क्या बीजेपी-जेडीयू के बीच खटास इतनी बढ़ गई हैं कि बिहार में राजनीति एक बार फिर से करवट ले सकती है? क्या जल्दी ही बिहार में कोई नई सियासी हलचल दिख सकती है?

दरअसल, इन सवालों के उभरने के पीछे हाल ही दिनों में हुए एक-दो नहीं, बल्कि अनेक वाकये हैं। बिहार में भले ही एनडीए की सरकार चल रही है,लेकिन इसके प्रमुख दो बड़े घटक दलों के बीच आजकल तल्खी साफ नजर आ रही है। एनडीए के दो सहयोगियों बीजेपी और जेडीयू के बीच दूरियां लगातार बढ़ती ही जा रही है। धारा 370 और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बीजेपी के रुख से जेडीयू बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखती है।

बीजेपी-जेडीयू के बीच बढ़ रही हैं दूरियां

ताजा वाकया गुरुवार का है,जब बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने न सिर्फ लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए तीन तलाक विधेयक का विरोध किया,बल्कि पार्टी के सभी सांसद सदस्य सदन से बाहर चले गए। जेडीयू ने जिस तरह से तीन तलाक प्रकरण में संसद में एनडीए सरकार के बिल का विरोध किया है, वह यह बताता है कि दोनों एक दूसरे की राजनीति के परस्पर विरोधी भले ही न हो, पर दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एनआरसी, धारा 35A और धारा 370 के मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन नहीं भी दोनों के बीच दूरी का बड़ा सबब है। दरअसल बीते दिनों कई ऐसे प्रकरण हुए हैं जिससे लगता है कि बीजेपी-जेडीयू के बीच रिश्तों में तल्खी जरूर आई है। लिहाजा, इसके पीछे क्या कारण हैं, आइए इसपर भी एक नजर डालते हैं।

जेडीयू नेता ने दी बीजेपी को खुली चुनौती

जनता दल यूनाइटेड नेता पवन वर्मा ने बीजेपी को 2020 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की चुनौती दे डाली है। पवन वर्मा ने कहा, हमलोग देख रहे हैं कि बीजेपी के कुछ नेता नीतीश सरकार से समर्थन वापसी की धमकी दे रहे हैं। उन्हें अकेले होकर एक चुनाव लड़ लेना चाहिए। चुनावी परिणाम से सभी को समझ आ जाएगा।

बीजेपी-जेडीयू नेताओं का आमना-सामना

हाल के दिनों में जिस तरह से जेडीयू और बीजेपी के नेताओं ने एक-दूसरे के नेताओं पर जुबानी हमले किए हैं, ये भी दोनों ही पार्टियों के बीच चल रही अंदरूनी खींचतान की तस्दीक करती है। बीजेपी की ओर से जहां केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और एमएलसी सच्चिदानंद राय जैसे नेताओं ने मोर्चा संभाल रखा, वहीं जेडीयू की ओर से पवन वर्मा और संजय सिंह जैसे नेताओं ने।

गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार को बताया दोषी

अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरएसएस और इससे जुड़े संगठनों की जांच के लिए इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दोषी बताया है। इतना ही नहीं उन्होंने सीधे तौर पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर भी सवाल खड़ा किया है। ग्रिनाथ सिंह ने कहा, 'यह किसी को समझ में ही नहीं आया कि जांच कराने के आदेश देने के पीछे क्या कारण था? बिहार में जेडीयू, बीजेपी के साथ सरकार में है और संघ हमारा मातृ संगठन है।' उन्होंने कहा कि जो घटना घटी, वह काफी आपत्तिजनक थी। इस घटना से लोगों में इतना आक्रोश है कि लोग अब पूछ रहे हैं कि हम सरकार में हैं या सरकार से बाहर? 

नीतीश-सिद्दीकी मुलाकात से अटकलें हुईं तेज

प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दरभंगा दौरे के दौरान आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी से उनके आवास पर आधे घंटे अकेले मुलाकात की। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि ये बिहार की राजनीति में सियासी हलचल के संकेत हैं। बिहार के राजनीतिक गलियारों में तो ये चर्चा भी जोरों पर है कि आरजेडी के कुछ विधायक टूटेंगे और जेडीयू तथा कांग्रेस मिलकर प्रदेश की राजनीति को नया आकार देने जा रही है।

आरएसएस 'जासूसी' मामला से भी बढ़ी तल्खी

बिहार में आरएसएस सहित 19 हिंदूवादी संगठनों और उनके सदस्यों से संबंधित सूचनाएं एकत्रित करने के लिए 28 मई को जारी बिहार विशेष शाखा की चिट्ठी पर सियासी घमासान मचा हुआ है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश से जारी किया गया था, क्योंकि गृह विभाग उनके जिम्मे है। बताया जा रहा है कि नीतीश सरकार की सफाई देने के बावजूद आरएसएस और बीजेपी दोनों ही इस प्रकरण को लेकर बेहद नाराज है।

प्रशांत किशोर को नीतीश की अनुमति

जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार ने बीजेपी विरोधी मानी जाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए काम करने की इजाजत दे दी थी। बताया जा रहा है कि इससे भी बीजेपी नेतृत्व बेहद नाराज है। दरअसल, बीजेपी बंगाल में पूरा जोर लगा रही है ऐसे में प्रशांत किशोर की रणनीति से उसे परेशानी हो सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को ममता बनर्जी के लिए काम करने की अनुमति देकर बीजेपी नेताओं को पशोपेस में डाल दिया है।

मंगल पांडे से इस्तीफा मांगने का प्रकरण

इसके बाद चमकी बुखार से 180 से अधिक मौतों के लिए जेडीयू-बीजेपी में भी एक दूसरे पर भौहें सिकोड़ी गईं। चर्चा तो यह भी थी की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले में हुई फजीहत के कारण बीजेपी नेता और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से इस्तीफा भी मांगा था। हालांकि इस बात पर दोनों ही दलों ने पर्दा डाल दिया था।

केंद्रीय कैबिनेट में जदयू को नहीं मिली भागीदारी

माना जाता है कि दोनों दलों के बीच रिश्तों में कड़वाहट केंद्रीय मंत्रिपरिषद में सम्मानजनक सीट नहीं मिलने के बाद मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होने के जेडीयू के फैसले के बाद शुरू हुई। जेडीयू ने सांकेतिक भागीदारी से इनकार करते हुए मंत्री पद ठुकरा दिया था,जिसके तुरंत बाद बिहार में मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया, जिसमें बीजेपी को शामिल नहीं किया गया।

बीजेपी-जेडीयू के बीच चल रही प्रेशर पॉलिटिक्स 

बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए बिहार में एनडीए की सरकार बनी रहे, इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड का प्रयास जारी रहेगा। दोनों में से कोई एक-दूसरे का साथ छोड़ना नहीं चाहेगा। बड़ा भाई-छोटा भाई को लेकर ये प्रेशर पॉलिटिक्स हो सकती है, क्योंकि बीजेपी ने जहां मुख्यमंत्री नीतीश के खिलाफ बोलने वाले एमएलसी सच्चिदानंद राय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, वहीं जेडीयू ने भी अपने नेताओं को नियंत्रित बयान जारी करने के निर्देश जारी किए हैं। जानकारों का मानना है कि अगले साल चुनाव होना है। ऐसे में बीजेपी और जेडीयू में यह रस्साकसी चलती रहेगी। परंतु दोनों अलग होंगे, यह कहना अभी जल्दबाजी है।