खुशखबरी: दिल्ली के 50 लाख श्रमिकों और कर्मचारियों को दीपावाली गिफ्ट, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के संशोधित न्यूनतम मजदूरी को दी मंजूरी

शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के संशोधित न्यूनतम मजदूरी को मंजूरी दे दी है। अदालत ने कहा कि दिल्ली में स्नातक कर्मचारियों को 19,572 रुपये प्रतिमाह से कम वेतन नहीं दे सकते। दिल्ली सरकार ने अकुशल कर्मचारी को 14,842 और कुशल कर्मचारी को 17,991 रुपये महीने की न्यूनतम मजदूरी तय की है। अर्ध कुशल श्रमिकों के लिए 16,341 रुपये प्रति महीना तय किया गया है। केजरीवाल सरकार जल्द ही इसके लिए अधिसूचना जारी करेगी।

खुशखबरी: दिल्ली के 50 लाख श्रमिकों और कर्मचारियों को दीपावाली गिफ्ट, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के संशोधित न्यूनतम मजदूरी को दी मंजूरी
GFX of Delhi LG and CM With Supreme Court
खुशखबरी: दिल्ली के 50 लाख श्रमिकों और कर्मचारियों को दीपावाली गिफ्ट, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के संशोधित न्यूनतम मजदूरी को दी मंजूरी

देश की सर्वोच्च अदालत ने दीपावली से पहले दिल्ली सरकार के श्रमिकों और कर्मचारियों को तोहफा दिया है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के संशोधित न्यूनतम मजदूरी को मंजूरी दे दी है। अदालत ने कहा कि दिल्ली में स्नातक कर्मचारियों को 19,572 रुपये प्रतिमाह से कम वेतन नहीं दे सकते। दीपावाली से पहले सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से अकुशल, अर्धकुशल, कुशल श्रमिकों और अनुबंध पर काम करने वाले करीब 50 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।

दिल्ली सरकार ने अकुशल कर्मचारी को 14,842 और कुशल कर्मचारी को 17,991 रुपये महीने की न्यूनतम मजदूरी तय की है। अर्ध कुशल श्रमिकों के लिए 16,341 रुपये प्रति महीना तय किया गया है। केजरीवाल सरकार जल्द ही इसके लिए अधिसूचना जारी करेगी।

सर्वोच्च अदालत में जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने यह भी साफ किया है कि कर्मचारियों को कोई एरियर नहीं दिया जाएगा। इससे पहले दिल्ली सरकार ने तीन मार्च 2017 को न्यूनतम मजदूरी में 11.1 फीसदी तक बढ़ोतरी की थी। लेकिन कुछ लोग इसके विरोध में उच्च न्यायालय चले गए थे। न्यायालय ने 4 सितंबर 2018 को दिल्ली सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ दिल्ली सरकार सर्वोच्च अदालत पहुंच गई। करीब दो साल से यह मामला अदालतों में लंबित था।

सर्वोच्च अदालत के आदेश पर ही दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के लिए चार सदस्यीय मूल्य संग्रह समिति का गठन किया था। समिति ने सभी छह श्रेणियों में 11.1 फीसदी तक वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव दिया। आपत्ति और सुझाव के बाद 31 जनवरी को यह रिपोर्ट अदालत में रखी गई थी। इसके चलते महंगाई भत्ते बढ़ाने पर भी रोक लगी थी। अदालतों में मुकदमे की वजह से दो साल से कर्मचारियों को इस बढ़ोतरी का लाभ नहीं मिल पा रहा था।