अपनों को टीका लगना हो बाकी तो उन्हें वायरस से यूं रखें सुरक्षित

अपनों को टीका लगना हो बाकी तो उन्हें वायरस से यूं रखें सुरक्षित

कोविड-19 से बचाव में कारगर टीका लगवा चुके हैं तो भी संक्रमण के खतरे से पूरी तरह से बेफिक्र मत हो जाएं। विभिन्न अध्ययनों से स्पष्ट है कि मौजूदा समय में उपलब्ध कोई भी वैक्सीन कोरोना से सौ फीसदी सुरक्षा की गारंटी नहीं देती। यह भी जरूरी नहीं कि एक ही परिवार के सभी सदस्यों का टीकाकरण हो चुका हो। इसकी वजह आयु सीमा, बीमारी, एलर्जी सहित अन्य कारण हो सकते हैं। तो आइए जानें कि जब हमारे कुछ अपनों को टीका लगना बाकी हो तो उन्हें वायरस के प्रकोप से महफूज रखने के लिए किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है-

लापरवाही भारी पड़ेगी
-अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के मुताबिक कोरोना-रोधी टीके संक्रमण से पूर्ण सुरक्षा नहीं देते, पर शरीर में सार्स-कोव-2 वायरस की प्रजनन दर में जरूर कमी लाते हैं।
-इससे वायरस तेजी से अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाता, नतीजतन मरीज के गंभीर अवस्था में जाने या अस्पताल में भर्ती होने का खतरा घट जाता है, उसे वेंटिलेटर पर रखने की नौबत भी नहीं आती।
-यह भी मुमकिन है कि कई लोग तो कोरोना की जद में आ जाएं पर उनमें लक्षण ही न उभरें, ऐसे में ये मरीज घर के उन सदस्यों में वायरस के वाहक बन सकते हैं, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है।

बोलते आंकड़े
-परीक्षण में 10 में से नौ लाभार्थियों में टीके से मजबूत सुरक्षा कवच पैदा होता दिखा।
-01 लाभार्थी टीकाकरण के बाद भी कोरोना वायरस के प्रति ज्यादा संवेदनशील मिला।
-कोविड प्रोटोकॉल की अनदेखी करने पर सुरक्षित लोगों का आंकड़ा और घट सकता है।

एहतियाती उपायों पर अमल जारी रखें
-कोविड-19 टीका लगवा चुके लोग भी मास्क पहनना, समय-समय पर साबुन से हाथ धोते रहना और सामाजिक दूरी का पालन करना जारी रखें।
-घर से बेवजह बाहर न निकलें, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बहुत जरूरी हो तो ही करें, सतहों को छूने के बाद हाथ सेनेटाइज करना न भूलें।
-फल-सब्जी सहित बाहर से लाया गया हर सामान अच्छे से धोकर इस्तेमाल करें, सर्दी-जुकाम-बुखार जैसे लक्षण उभरने पर खुद को पृथक कर लें।

इन्हें नहीं लग सकती वैक्सीन
-एम-आरएनए वैक्सीन में मौजूद तत्वों (लिपिड, शक्कर, लवण, एन-आरएनए ब्लूप्रिंट, आदि) के प्रति संवेदनशील मरीज।
-18 साल से कम उम्र के बच्चे-किशोर, उन पर कोविड टीके का प्रभाव एवं सुरक्षा आंकने के लिए कई देशों में शोध जारी।

टीकाकरण टालने में भलाई
-ऐसे लोग जो अभी कोविड-19 से जुड़े लक्षणों से जूझ रहे हों या फिर पृथकवास में रह रहे हों।
-कोरोना से संक्रमित रह चुके ऐसे मरीज, जिनके इलाज में एंटीबॉडी पद्धति का इस्तेमाल हुआ हो।
-गैर-कोविड टीका लगवाने वाले लोग कम से कम 14 दिन बाद ही कोरोना रोधी वैक्सीन लगवाएं।

डॉक्टरी सलाह के बाद लें फैसला
-गैर-कोविड टीकों या इंजेक्शन के जरिये ली जाने वाली दवाओं के प्रति संवेदनशील लोग।
-गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं, खून को पतला रखने वाली दवाएं ले रहे मरीज।
-ऐसे मरीज जिनका प्रतिरोधक तंत्र कमजोर हो या फिर जो अंग प्रतिरोपण या अन्य कारणों से प्रतिरोधक कोशिकाओं की सक्रियता घटाने वाली दवाएं खा रहे हों।