राम मंदिर पर केंद्र सरकार का अहम फैसला, बनायी तीन सदस्यीय विशेष अयोध्या डेस्क,गृह मंत्रालय में अब अलग से देखे जाएंगे मंदिर निर्माण से जुड़े मामले

केंद्र सरकार ने लाखों हिन्दुओं की आस्था के केंद्र राम मंदिर को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। सरकार के निर्णय के मुताबिक उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़े मामलों को अब अलग से देखा जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय में इसके लिए विशेष अयोध्या डेस्क बनाई गई है। मंत्रालय के एक अतिरिक्त सचिव को इसका प्रमुख बनाया गया है।

राम मंदिर पर केंद्र सरकार का अहम फैसला, बनायी तीन सदस्यीय विशेष अयोध्या डेस्क,गृह मंत्रालय में अब अलग से देखे जाएंगे मंदिर निर्माण से जुड़े मामले
Pic of Ayodhya Ram Mandir
राम मंदिर पर केंद्र सरकार का अहम फैसला, बनायी तीन सदस्यीय विशेष अयोध्या डेस्क,गृह मंत्रालय में अब अलग से देखे जाएंगे मंदिर निर्माण से जुड़े मामले
राम मंदिर पर केंद्र सरकार का अहम फैसला, बनायी तीन सदस्यीय विशेष अयोध्या डेस्क,गृह मंत्रालय में अब अलग से देखे जाएंगे मंदिर निर्माण से जुड़े मामले
राम मंदिर पर केंद्र सरकार का अहम फैसला, बनायी तीन सदस्यीय विशेष अयोध्या डेस्क,गृह मंत्रालय में अब अलग से देखे जाएंगे मंदिर निर्माण से जुड़े मामले

केंद्र सरकार ने लाखों हिन्दुओं की आस्था के केंद्र राम मंदिर को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। सरकार के निर्णय के मुताबिक उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़े मामलों को अब अलग से देखा जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय में इसके लिए विशेष अयोध्या डेस्क बनाई गई है। मंत्रालय के एक अतिरिक्त सचिव को इसका प्रमुख बनाया गया है।

आयोध्या डेस्क सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने, मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करने और उसके बाद ट्रस्ट को जमीन का मालिकाना हक ट्रांसफर करने जैसे सभी मामले भी देखेगी। आप सभी को मालूम है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीन महीने में ट्रस्ट के गठन का आदेश दिया है।

दरअसल, गृह मंत्रालय ने बीते 31 दिसंबर को जो आदेश जारी किया है,उसके मुताबिक ये अयोध्या डेस्क तीन सदस्यीय होगी। डेस्क का काम देखने के लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विभाग के प्रमुख अतिरिक्त सचिव के अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विभाग के ही संयुक्त सचिव और राष्ट्रीय एकता विभाग के उप सचिव को इसका जिम्मा दिया गया है।

आदेश में कहा गया है कि यह डेस्क अब अयोध्या से जुड़े सभी मामले और उससे संबंधित अदालती आदेशों को भी देखेगी। ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर विभाग के प्रमुख के रूप में ज्ञानेश कुमार ने पांच अगस्त को राज्य के विभाजन और अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाने में अहम भूमिका निभाई थी।

मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के स्वरूप पर अभी कोई फैसला तो नहीं हुआ है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ट्रस्ट 11 सदस्यीय हो सकता है।  इसमें सरकारी प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के जिलाधिकारी या फैजाबाद के कमिश्नर को स्थान दिया जाएगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार के एक अधिकारी को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को सदस्य बनाने का निर्देश पहले ही दिया है। किसी ऐसे व्यक्ति को इसमें स्थान नहीं मिलेगा, जो मंदिर निर्माण के लिए अपना पूरा समय नहीं दे पाए। सरकार के सामने ट्रस्ट की स्वायत्तता पहली प्राथमिकता है,जिससे कि भविष्य में इसका गलत इस्तेमाल नहीं हो सके। ट्रस्ट के गठन और मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन का काम भी देखेंगे।

बीजेपी की ओर से पहले ही यह साफ किया जा चुका है कि पार्टी का कोई भी नेता ट्रस्ट में शामिल नहीं होगा। विश्व हिंदू परिषद ने भी साफ कर दिया कि उसका कोई पदाधिकारी सीधे तौर पर ट्रस्ट का सदस्य नहीं बनेगा। लेकिन पिछले तीन दशकों से मंदिर निर्माण की तैयारी में जुटे रामजन्मभूमि न्यास को इसमें स्थान मिल सकता है।