INX मीडिया मामला : सर्वोच्च अदालत करेगी पी.चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई,दिल्ली उच्च न्यायालय नियमित जमानत देने से कर चुकी है इनकार

सुप्रीम कोर्ट पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ अगले दो दिनों में इस पर सुनवाई करेगी। पी. चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं, जबकि भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें जमानत मिल गई थी।

INX मीडिया मामला : सर्वोच्च अदालत करेगी पी.चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई,दिल्ली उच्च न्यायालय नियमित जमानत देने से कर चुकी है इनकार
GFX of Supreme Court of India With P. Chidambram
INX मीडिया मामला : सर्वोच्च अदालत करेगी पी.चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई,दिल्ली उच्च न्यायालय नियमित जमानत देने से कर चुकी है इनकार

देश की सर्वोच्च अदालत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गयी है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ अगले दो दिनों में इस पर सुनवाई करेगी। पी. चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं, जबकि भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें जमानत मिल गई थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 15 नवंबर को उनके उपर गले आरोपों को गंभीर बताते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। न्ययालय ने कहा था कि इसमें कोई शक नहीं है कि जमानत लेना उनका अधिकार है, लेकिन ऐसे मामले में अगर जमानत दी जाती है, तो यह बड़े पैमाने पर लोगों के हितों के खिलाफ होगा, क्योंकि उन पर गंभीर आरोप हैं।

दरअसल, चिदंबरम पर आईएनएक्स मीडिया घोटाले में सक्रिय और मुख्य भूमिका निभाने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई अलग-अलग मामलों में उनके खिलाफ जांच कर रही है। सर्वोच्च अदालत ने 22 अक्टूबर को उन्हें भ्रष्टाचार मामले में जमानत दे दी थी। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय मामले में जमानत मिलने के बाद ही वे जेल से बाहर आ सकेंगे। इससे पहले सीबीआई ने चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था।

आपको बताते चलें कि अदालत ने हाल ही में चिदंबरम की न्यायिक हिरासत 27 नवंबर तक बढ़ा दी थी। इस पर चिदंबरम के वकील ने अदालत से कहा था कि उन पर देश छोड़कर जाने, गवाहों को प्रभावित करने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने जैसे कोई आरोप नहीं हैं। ऐसे में उन्हें नियमित जमानत दी जानी चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि चिदंबरम को अगर जमानत मिलती है, वे साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं।