जानिए, महाराष्ट्र में सरकार गठन के क्या-क्या हो सकते हैं समीकरण?
महाराष्ट्र में सत्ता की तस्वीर अभी भी साफ नहीं है। बीजपी और शिवसेना के बीच बात नहीं बन पा रही है। दोनों दल मुख्मंत्री की कुर्सी की लड़ाई लड़ रहे हैं। महाराराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है और इससे पहले सरकार का गठन जरूरी है।
महाराष्ट्र में सत्ता की तस्वीर अभी भी साफ नहीं है। बीजपी और शिवसेना के बीच बात नहीं बन पा रही है। दोनों दल मुख्मंत्री की कुर्सी की लड़ाई लड़ रहे हैं। महाराराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है और इससे पहले सरकार का गठन जरूरी है।
अगर इस तारीख तक कोई दल या गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। महाराष्ट्र में सरकार गठन कब, कैसे और किस तरीके से हो सकता है, सत्ता का समीकरण क्या हो सकता है, आइए उसपर नजर डालते हैं।
सबसे पहला यह कि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच जारी गतिरोध समाप्त हो जाए और देवेंद्र फडणवीस या दोनों दलों की आपसी सहमति वाला उम्मीदवार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ले।
दूसरा यह कि 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के पास 105 विधायक हैं। बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी है। अगर बीजेपी 29 निर्दलीय विधायकों को अपने साथ कर लेती है, तो उसका संख्या बल 134 का हो जाता है। ऐसे में पार्टी बहुमत के आंकड़े से 11 सीट दूर रह जाएगी।
इस स्थिति में फ्लोर टेस्ट के वक्त विधानसभा से दूसरी पार्टियों के 21 विधायक अनुपस्थित रहें, तो बीजेपी सदन में बहुमत साबित कर लेगी। 21 विधायकों की अनुपस्थिति की स्थिति में सदन की सदस्य संख्या 267 हो जाएगी और बहुमत का जरूरी आंकड़ा 134 का हो जाएगा। ये आंकड़ा बीजेपी 29 निर्दलियों की मदद से जुटा सकती है।
बीजेपी सांसद संजय काकड़े ने दावा किया है कि शिवसेना के 45 विधायक उनकी पार्टी को समर्थन देना चाहते हैं। ऐसे में 56 विधायकों वाली शिवसेना से 45 विधायक टूटते हैं, तो यह संख्या दो-तिहाई से ज्यादा हो जाएगी और दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। 105 विधायकों वाली बीजेपी का संख्या बल इन विधायकों की मदद से 150 पहुंच जाएगा और वह सदन में बहुमत साबित कर देगी।
बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश न करे और 56 विधायकों वाली शिवसेना दावा पेश कर दे। इसकी संभावना इसलिए है, क्योंकि शिवसेना सांसद संजय राउत लगातार दावा कर रहे हैं कि शिवसेना के पास 170 विधायकों का समर्थन है और यह संख्या 175 तक हो सकती है।
56 विधायकों वाली शिवसेना का 54 विधायकों वाली एनसीपी से गठबंधन हो जाए और 44 विधायकों वाली कांग्रेस बाहर से समर्थन दे दे। ऐसे में तीनों की संख्या मिलकर 154 हो जाएगी। हालांकि, इसकी संभावना कम है, क्योंकि कांग्रेस चुप्पी साधे हुए है और एनसीपी प्रमुख शरद पवार शिवसेना नेता संजय राउत से मुलाकात के बाद भी कह चुके हैं कि उन्हें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है। पवार का यह भी कहना है कि उन्हें नहीं पता कि राउत किस आधार पर 170 विधायकों के समर्थन की बात कह रहे हैं।
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