लालू यादव परिवार को मिली दोहरी खुशी,हरियाणा में दामाद चिरंजीवी राव, तो बिहार में आरजेडी के 2 उम्मीदवार चुनाव जीते

बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू यादव परिवार को एक साथ दोहरी खुशी मिली है। लालू परिवार के लिए न सिर्फ बिहार, बल्कि हरियाणा से भी अच्छीक खबर मिली है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में जहां लालू यादव के दामाद चिरंजीवी राव को रेवाड़ी से जीत मिली है,वहीं बिहार विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी को दो सीटों पर जीत हासिल हुई है। 

लालू यादव परिवार को मिली दोहरी खुशी,हरियाणा में दामाद चिरंजीवी राव, तो बिहार में आरजेडी के 2 उम्मीदवार चुनाव जीते
GXF of RJD President Laloo Prasad Yadav, Rabri Yadav, Tejasvi and Trjpratap Yadav
लालू यादव परिवार को मिली दोहरी खुशी,हरियाणा में दामाद चिरंजीवी राव, तो बिहार में आरजेडी के 2 उम्मीदवार चुनाव जीते

बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू यादव परिवार को एक साथ दोहरी खुशी मिली है। लालू परिवार के लिए न सिर्फ बिहार, बल्कि हरियाणा से भी अच्छीक खबर मिली है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में जहां लालू यादव के दामाद चिरंजीवी राव को रेवाड़ी से जीत मिली है,वहीं बिहार विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी को दो सीटों पर जीत हासिल हुई है। हरियाणा में लालू यादव के दामाद चिरंजीवी राव कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े और बीजेपी के उम्मीदवार सुनील कुमार को 1317 वोट से हराया।

उधर, बिहार विधानसभा के लिए 5 सीटों पर उपचुनाव हुआ, जिसमें बेलहर, दरौंदा, नाथनगर, किशनगंज और सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल थे। इनमें से बेलहर विधानसभा सीट पर आरजेडी के रामदेव यादव ने जेडीयू के लालधारी यादव को हरा दिया है, जबकि सिमरी बख्तियारपुर में आरजेडी के उम्मीदवार जफर आलम ने जेडीयू के अरुण कुमार को मात दी है। ये दोनों सीट पहले जेडीयू के कब्जेे में थी। 

गौर करने वाली बात यह है कि महागठबंधन में बिखराव और कमजोर प्रचार के बावजूद आरजेडी दो सीट जीतने में कामयाब हुई है। ऐसे में कहा जा सकता है कि उसका वोट बैंक लोकसभा के चुनाव के बाद भी बिखरा नहीं है। जबकि सत्ता में होते हुए भी जेडीयू ने कमजोर रणनीति की वजह से अपनी बढ़त गंवा दी है।

जेडीयू ने इस बार लोकसभा चुनाव में जीते सांसदों को ही अपने उत्तराधिकारी मैदान में उतारने की जिम्मेदारी देकर भारी गलती की। सिवान की सांसद कविता सिंह ने अपने पति अजय सिंह को अपने बदले दरौंदा से मैदान में उतारा, तो बांका के सांसद गिरधारी लाल यादव ने अपने भाई लालधारी यादव को प्रत्यामशी बनाया। इन दोनों को जनता ने नकार दिया। बताया जा रहा है कि एनडीए को अति आत्मविश्वास की वजह से अपनी सीटें गंवानी पड़ी, क्योंकि उन्हें ये लगता है कि बिहार में और कोई विकल्प नहीं है।