बाबा विश्वनाथ को अब पैकेट वाले दूध से नहीं हो सकेगा अभिषेक, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने तत्काल प्रभाव से लगाई रोक

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के फैसले से यह साफ हो गया है कि बारह ज्योर्तिलिंगों में सर्वोपरी बाबा काशी विश्वनाथ को अब पाश्चुरराइड दूध से अभिषेक नहीं किया जा सकेगा। न्यास परिषद के सदस्यों का कहना है कि शास्त्रीय विधान में शिवलिंग पर सिर्फ कच्चा दूध ही चढ़ाया जा सकता है। उनका कहना है कि पैकेट का दूध कई बार गर्म और ठंडा करने की प्रक्रिया से गुजरता है।

बाबा विश्वनाथ को अब पैकेट वाले दूध से नहीं हो सकेगा अभिषेक, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने तत्काल प्रभाव से लगाई रोक
Pic of Kashi Vishwanath Temple Varanasi
बाबा विश्वनाथ को अब पैकेट वाले दूध से नहीं हो सकेगा अभिषेक, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने तत्काल प्रभाव से लगाई रोक
बाबा विश्वनाथ को अब पैकेट वाले दूध से नहीं हो सकेगा अभिषेक, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने तत्काल प्रभाव से लगाई रोक

उत्तर प्रदेश की पवित्र और पौराणिक नगरी वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर की महिमा अपरंपार है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आकर पूजा-अर्चना और अभिषेक कर अपनी मनोकामना पूर्ति की कामना करते हैं। अगर आप भी काशी विश्वनाथ के दर्शन, पूजन और अभिषेक करना चाहते हैं, तो आपके लिए यह जान लेना जरूरी है कि अब बाबा विश्वनाथ का अभिषेक पैकेट वाले दूध से नहीं होगा। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने बाबा विश्वनाथ पर अर्पित किए जाने वाले पैकेट के दूध पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के सदस्यों ने एक बैठक में इसका निर्णय लिया है। मंदिर न्यास परिषद के फैसले के बाद अब यह साफ हो गया है कि बारह ज्योर्तिलिंगों में सर्वोपरी बाबा काशी विश्वनाथ को अब पाश्चुरराइड दूध से अभिषेक नहीं किया जा सकेगा। न्यास परिषद के सदस्यों का कहना है कि शास्त्रीय विधान में शिवलिंग पर सिर्फ कच्चा दूध ही चढ़ाया जा सकता है। उनका कहना है कि पैकेट का दूध कई बार गर्म और ठंडा करने की प्रक्रिया से गुजरता है।

सदस्यों ने बताया कि पैकेट के दूध शास्त्रीय पद्धति के अनुसार शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य नहीं हैं। क्योंकि दूध कई दिनों का होता है और इसे प्रक्रिया के तहत कई बार गर्म और ठंडा किया जाता है। उन्होंने बताया कि लगभग 200-250 लीटर दूध चढ़ाने के लिए प्रतिदिन खपत होती है और अगर काशी विश्वनाथ के गौशाला से भी दूध कम पड़ता है,तो बाहर के गौपालकों से भी दूध लेकर उस कमी को पूरा किया जाता है।

मंदिर परिसर में स्थापित अमूल दूध के काउंटर से भी दूध की ब्रिकी बंद कर दी गई है और गौशाला के दूध की ही ब्रिकी शुरू कर दी गई है। मंदिर प्रशासन के अलावा जो श्रद्धालु बाहर से भी दूध लाकर चढ़ाते हैं, तो उसकी गुणवत्ता भी समय-समय पर जांच की जाती है। ऐसा इसलिए कि बाहरी दूध में भी केमिकल की शिकायत आती थी।

हालांकि, मंदिर के बाहर के दुकानदार विश्वनाथ मंदिर की ओर से लगाए जाने वाले नए प्रतिबंधों को गलत बता रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि इस फैसले से न केवल दुकानदार बल्कि आने वाले श्रद्धालुओं को भी दिक्कत हो रही है। कई पूजा सामाग्री मंदिर के अंदर से नहीं मिलती और उसे बाहरी दुकान से भी खरीदकर नहीं ले जाया जा सकता, जिससे श्रद्धालुओं को काफी दिक्कत होती है।