आइये जानें,  कैसे के.पी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के किये अपमान का लिया बदला 

किसी को भी अपने से छोटा समझकर अपमानित नहीं करना चाहिए क्योंकि नियति व् समय बड़ा बलवान होता है और वह सबको अपना प्रतिशोध लेने का एक अवसर अवश्य देता है।

आइये जानें,  कैसे के.पी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के किये अपमान का लिया बदला 

रोहित शर्मा : 
यह फोटो देख रहे हैं आप, इस फोटो की भी एक अपनी अलग कहानी है, इस फोटो में आपको सर्कल में जो व्यक्ति दिख रहे हैं उनका नाम है के.पी यादव और इन्होंने महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक लाख से अधिक मतों से उनके गढ़ में घुसकर पराजित किया है।

केपी यादव पिछले 20 वर्षों से कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे। विभिन्न पदों पर इन्होंने कार्य किया था, अबसे करीब 4 वर्ष पूर्व यह ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास उनके संग सेल्फी खिंचाने की रिक्वेस्ट लेकर गए और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इन्हें डांट डपट कर अपमानित कर तिरस्कार कर भगा दिया। जिससे इनके आत्मसम्मान को गहरी ठेस लगी और इन्हें समझ आया कि कांग्रेस में उनका कोई सम्मान और स्थान नहीं है।

उसके बाद केपी यादव भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पास पहुंचे और उन्होंने उनसे जोर देकर ज्योतिराज सिंधिया के ही विरूद्ध भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने देने का निवेदन किया, अमित शाह को समझ नहीं आया कि यह ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरुद्ध ही क्यों लड़ना चाहते हैं। 

जब अमित शाह ने केपी यादव से यह प्रश्न किया, तो उन्होंने अपने जेब से मोबाइल निकाल कर अमित शाह को यह फोटो दिखाई और अपनी पूरी कहानी बताई।

जिसके बाद अमित शाह को यह हिसाब लगाते देर नहीं लगी की आत्मसम्मान पर ठेस खाया हुआ व्यक्ति अपने प्रतिद्वंदी के लिए बहुत घातक सिद्ध होता है और फिर ऐसा व्यक्ति प्रतिद्वंदी के विरुद्ध अपनी विजय सुनिश्चित करने हेतु अपनी पूरी शक्ति और आत्मबल का जोर लगाता है।

(हम लोग तो पहले भी उत्तरपूर्व में हेमंत बिश्वशर्मा द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा अपमानित किये जाने के बाद उनका कांग्रेस से लिया प्रतिशोध देख चुके हैं कि कैसे अपने प्रतिशोध के लिए उन्होंने किस प्रकार पूरी कांग्रेस को असम से साफ कर दिया)

अमित शाह ने उसी क्षण केपी यादव को ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरुद्ध भाजपा का टिकट देने का आश्वासन दिया और उनसे अगले लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरुद्ध चुनाव लड़ने की तैयारियां करने को कहा, और केपी यादव जुट गए महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके गढ़ में उन्हें पराजित करने हेतु उन्होंने 4 वर्षों तक जमीन पर कड़ी मेहनत की। जनता के बीच गए उनसे संवाद स्थापित किया और धीरे-धीरे स्थानीय जनता का विश्वास व् आशीर्वाद प्राप्त करते रहे।

और आज लोकसभा चुनाव में केपी यादव ने अपना लक्ष्य बखूबी प्राप्त कर अपना प्रतिशोध ले लिया और राजपरिवार के अहंकारी व् दम्भी महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को उन्होंने एक लाख से अधिक मतों से पराजित कर इतिहास रच दिया।

अपने एलीटिसिज्म के रथ पर सवार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि एक आम कार्यकर्ता को सेल्फी लेने के निवेदन पर छिड़कने का उन्हें अपनी लोकसभा सीट गंवाने जैसा ऐसा गंभीर व् घातक परिणाम भी चुकाना पड़ सकता है।

इस पूरी कहानी से एक बहुत बड़ी सीख मिलती है कि किसी को भी अपने से छोटा समझकर अपमानित नहीं करना चाहिए क्योंकि नियति व् समय बड़ा बलवान होता है और वह सबको अपना प्रतिशोध लेने का एक अवसर अवश्य देता है।