रुंधा गला, और दिल में गम हार के बाद भावुक दिखीं मायावती, हारने के क्या वजह

इससे बुरा क्या ही होगा। हमें पत्थर काट कर रास्ता बनाने का काम करते रहना है...। यूपी विधानसभा चुनाव में महज एक सीट हासिल करने वाली बसपा की मुखिया मायावती ने शुक्रवार को बेहद भावुक अंदाज में यह बात कही। चुनाव में हार पर बोलते हुए मायावती भावुक थीं, गला रुंधा था और वह अपने अंदाज से अलग सबक सीखने की बात करती रहीं।

रुंधा गला, और  दिल में गम हार के बाद भावुक दिखीं मायावती, हारने के क्या वजह

इससे बुरा क्या ही होगा। हमें पत्थर काट कर रास्ता बनाने का काम करते रहना है...। यूपी विधानसभा चुनाव में महज एक सीट हासिल करने वाली बसपा की मुखिया मायावती ने शुक्रवार को बेहद भावुक अंदाज में यह बात कही। चुनाव में हार पर बोलते हुए मायावती भावुक थीं, गला रुंधा था और वह अपने अंदाज से अलग सबक सीखने की बात करती रहीं। साफ कहा कि हमें मुस्लिम वोटों के सपा में एकमुश्त जाने की सजा झेलनी पड़ी है। लेकिन फिर अपने समर्थकों से अपील की कि निराशन नहीं होना है और सत्ता में आने तक चुप नहीं बैठना है। उन्होंने इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस के पिछले और मौजूदा हालातों का भी उदाहरण दिया।

मायावती ने कहा, 'ऐसे खराब राजनीतिक हालात भाजपा ने भी देखे हैं, जब आजादी के बाद से लंबे समय तक भाजपा को जनता ने राज करने का मौका नहीं दिया। 2017 से पहले भाजपा की भी ऐसी मजबूत स्थिति यूपी में नहीं थी। ऐसे ही हालात से आज कांग्रेस गुजर रही है। मैं यह कहना जरूरी समझती हूं कि पूरे यूपी से मिले फीडबैक के मुताबिक जातिवादी नीतियां, निगेटिव प्रचार आदि के माध्यम से यह प्रचार किया गया बीएसपी भाजपा की बी टीम है। यह प्रचार किया गया कि बसपा के मुकाबले सपा ज्यादा बेहतर ढंग से भाजपा से लड़ रही है।'

त्रिकोणीय मुकाबला होता तो भाजपा की हार होती:

मायावती ने कहा कि भाजपा की ओर से मुस्लिम विरोधी आक्रामक प्रचार किया गया और जवाब में मुसलमानों का वोट पूरी तरह से सपा के साथ चला गया। ऐसे में सपा विरोधी हिंदू समाज भी बसपा के पास नहीं आया और भाजपा को ही चला गया। मायावती ने कहा कि केवल बसपा ही भाजपा को सत्ता में आने से रोक सकती है। यदि यूपी में तिकोना संघर्ष हुआ होता तो फिर चुनाव परिणाम बीएसपी की अपेक्षा के मुताबिक आते और भाजपा को सत्ता में आने से रोका जाता। 

बसपा के साथ लगे रहे मुस्लिम, पर सारा वोट सपा को दे दिया :

मुस्लिम समाज बीएसपी के साथ तो लगा रहा, लेकिन उनका पूरा वोट सपा को ही ट्रांसफर हुआ। इसके चलते दलित और हिंदू समाज के अन्य वर्गों का वोट भाजपा को चला गया। मुस्लिम वोटों के सपा को ट्रांसफर होने की सजा ही बसपा को मिली है। इन्हीं कड़वे अनुभवों को सीखते हुए बीएसपी आने वाले दिनों में अपनी नीतियों में बदलाव जरूर लाएगी। इसमें भी संतोष की बात यह है कि मेरे अपने समाज का वोट चट्टान की तरह पार्टी के साथ खड़ा रहा है। मेरी अब उन सबसे अपील है कि अपना मनोबल नहीं गिरने देना है। बाबासाहेब के अनुयायी कभी हिम्मत नहीं हारते हैं। हमें बाबासाहेब के कारवां को न ही रुकने देना है और न रुकने देना है।

इससे बुरा क्या ही होगा, अब खत्म होने वाला है बुरा वक्त:

पूरा खून पसीना बहाने के बाद भी यूपी का जो परिणाम आया है, उससे बुरा क्या हो सकता है। इसलिए मानना चाहिए कि अब बुरा वक्त खत्म होने वाला है। यूपी में इस बार पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप नहीं आने को लेकर मैं कहना चाहूंगी कि मुसलमान वोट सपा में जाने के डर से दलित समुदाय का भी बड़ा वोट भाजपा को चला गया।