प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों से की प्लास्टिक का विकल्प खोजने की अपील,भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 107वें सत्र के दौरान विज्ञान और तकनीक पर दिया जोर
प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए दुनिया के वैज्ञानिकों को प्रयोगशालाओं में प्लास्टिक का विकल्प खोजना होगा। खेती के विकास के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा के उत्पादन पर बल देने की जरूरत है।साइंस कांग्रेस में हर साल किसी समस्या पर विमर्श और समाधान खोजने की कोशिश की जाती है। इस बार की थीम कृषि विकास रखी गई है।
भारतीय वैज्ञानिक दुनिया भर में परचम लहरा रहे हैं। देश के वैज्ञानिकों की बदौलत हम आसमान की ऊंचाईयों को छू रहे हैं। हम मंगल और चांद पर पहुंच रहे हैं। ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरू में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 107वें सत्र को संबोधित करते हुए कही। भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे इस बात की खुशी है कि इस दशक और नए साल के मेरे शुरुआती कार्यक्रमों में से एक ये विज्ञान,तकनीक और अन्वेषण पर आधारित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,"नवाचार, पेटेंट, निर्माण और सफलता ऐसे चार कदम हैं, जो देश को तेज विकास की दिशा में ले जाएंगे। भारत की विकास गाथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सफलता पर निर्भर करती है। भारत में विज्ञान, तकनीक और नवोन्मेष के परिदृश्य में बदलाव की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि जब हमने साल 2020 विज्ञान और तकनीक के सहारे आशावान और साकारात्मकता के शुरुआत की, तो हमने अपने सपनों को साकार करने की दिशा में एक अन्य कदम बढ़ा दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए दुनिया के वैज्ञानिकों को प्रयोगशालाओं में प्लास्टिक का विकल्प खोजना होगा। खेती के विकास के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा के उत्पादन पर बल देने की जरूरत है।साइंस कांग्रेस में हर साल किसी समस्या पर विमर्श और समाधान खोजने की कोशिश की जाती है। इस बार की थीम कृषि विकास रखी गई है।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते पांच सालों में ग्रामीण विकास को लोगों ने महसूस किया है। स्वच्छ भारत से आयुष्मान तक भारत की सबसे बड़ी योजनाओं को दुनिया में सराहा जा रहा है। इसका कारण साइंस एंड टेक्नोलॉजी है।
देश के 6 करोड़ किसानों को पीएम किसान योजना की राशि ट्रांसफर कर एक नया रिकार्ड बनाया है। गांवों तक बिजली और अन्य विकास कार्य पहुंचे हैं। यह सब टेक्नोलॉजी से ही संभव हुआ है। आज गांव में सड़कें समय पर पूरी हो रही हैं। गरीबों के लिए 2 करोड़ से ज्यादा समय पर तैयार हुए हैं। जियो टेकिंग के कारण प्रोसेस गति तेज हुई है। समय पर काम पूरा होने से सभी शिकायतें खत्म हो रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि टेक्नोलॉजी के कारण आज किसान सीधे बाजार से लेनदेन कर रहे हैं। आज किसानों को खेती, मौसम से संबंधित हर जरूरी जानकारी मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्र में हमें टेक्नोलॉजी को और भी मजबूत बनाना है। आप सभी को यह भी जानकारी है कि ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन शुरू किया गया है। आपका दायित्व है कि पानी को री-साइकिल करने के लिए सस्ती टेक्नोलॉजी कैसे इस्तेमाल करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सप्लाई चेन में जो नुकसान होता है,उसकी रोकथाम के लिए टेक्नोलॉजी बहुत जरूरी है। हमें मध्यम और लघु उद्योगों को भी मजबूत करना है। देश ने सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति का संकल्प लिया है,जिससे कि हमारे पशु,मछलियों और मिट्टी को बचाया जा सके। लेकिन प्लास्टिक का विकल्प तो आपको ही खोजना होगा। इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट से मेटल निकालने के लिए भी नई तकनीक की जरूरत है। आप जो समाधान देंगे,उसे हम बाजार में उतार पाएंगे,जिसे मध्यम और लघु उद्योगों का विकास होगा।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि फसलों के अवशेष और घरों से निकलने वाला कचरा भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। इसको वेल्थ में बदलने के लिए हमें मेहनत करनी होगी। 2020 तक कच्चे तेल का आयात कम करने का लक्ष्य है,इसके कई विकल्प हमें तलाशने होंगे। आपका यही सब योगदान देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास में टेक्नोलॉजी के उपयोग को हमें व्यापक बनाना है। आने वाला दशक भारत में साइंस और टेक्नोलॉजी आधारित गवर्नेंस के लिए अच्छा समय होने वाला है। 2025 तक भारत ऊर्जा और बायोफ्यूल का सबसे बड़ा सप्लायर और हब होगा। भारत के विकास का एक लंबा रोडमैप तैयार किया गया है। तकनीक तेज और सामान्य विकास के बीच में समानता बनाए रखती है। जब मानव और तकनीक का मिलान होता है, तो नए अविष्कार होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष अनुसंधान में हमारी सफलता अब समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में भी नजर आना चाहिए। हमें समुद्र में मौजूद जल,ऊर्जा,भोजन और खनिज का दोहन करने की जरूरत है। देश को तेज गति से विकास के पथ पर ले जाने के लिए चार कदम उठाने होंगे। और वो चार कदम नवाचार, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे यह जानकर खुशी हुई कि नवाचार में भारत की रैंक सुधरकर 52 हो गई है। हमारी योजनाओं ने 5 साल में पिछले 50 साल की तुलना में ज्यादा बिजनेस इन्क्यूबेटर बनाए हैं। मैं अपने वैज्ञानिकों को इन उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूं।”
ज्ञात हो कि विज्ञान कांग्रेस की थीम कृषि विकास है और इसमें 15 हजार लोग शामिल होंगे। विज्ञान कांग्रेस के लिए नोबेल विजेता स्टीफन हेल (मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, जर्मनी) और अडा ई योनथ (वाइज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, इजराइल) बेंगलुरु पहुंच चुके हैं। इसके अलावा इंडोनेशिया के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट और भौतिक वैज्ञानिक सुब्रा सुरेश, हृदय रोग विशेषज्ञ सीएन मंजूनाथ भी शामिल होंगे।
संबंधित अधिकारियों के मुताबिक पिछले कुछ दशकों में फसल उत्पादन में बढ़ोतरी, किसानों की बाजार तक पहुंच में सुधार, गांवों में रोजगार के अवसरों में विविधता लाने जैसे कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन किसानों को इनका पूरा फायदा नहीं मिल पाया। इसीलिए विज्ञान कांग्रेस की थीम 'साइंस एंड टेक्नोलॉजी फॉर रूरल डेवलपमेंट' रखी गई है।
विज्ञान कांग्रेस के दौरान उद्योग और किसानों के बीच संचार की कमी पर दुनिया के नामी वैज्ञानिक और विशेषज्ञ विचार-विमर्श करेंगे। खेती पर संभावित खतरे को कम करने के उपायों का रोडमैप तैयार किया जाएगा। आयोजन में देशभर के शिक्षाविद, वैज्ञानिक और नीति निर्माताओं समेत 15,000 लोग शामिल होंगे। नवाचार करने वाले किसान भी बुलाए गए हैं।
कर्नाटक के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र नोदी ने गुरुवार को तुमकुरु में पीएम किसान योजना की तीसरी किश्त जारी की। इसके बाद बेंगलुरु में राज्यों को कृषि कर्मण पुरस्कार वितरित किए थे। उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की 5 युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का शुभारंभ किया। इसके बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और राज्यपाल वजुभाई वाला से राजभवन में मुलाकात भी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुमकुरु में स्थित सिद्धगंगा मठ में प्रार्थना भी की।
Comments (0)