शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा-हमेशा के लिए सड़क जाम नहीं कर सकते प्रदर्शनकारी, मासूम की मौत पर केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना-प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि विरोध से दूसरों को परेशानी हो,ऐसा अनिश्चित काल के लिए नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आप इतने समय तक रोड कैसे ब्लॉक कर सकते हैं? चार महीने के मासूम की मौत पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस भेजा है।

शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा-हमेशा के लिए सड़क जाम नहीं कर सकते प्रदर्शनकारी, मासूम की मौत पर केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
GFX of Supreme Court On Shaheen Bagh
शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा-हमेशा के लिए सड़क जाम नहीं कर सकते प्रदर्शनकारी, मासूम की मौत पर केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा-हमेशा के लिए सड़क जाम नहीं कर सकते प्रदर्शनकारी, मासूम की मौत पर केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना-प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि विरोध से दूसरों को परेशानी हो,ऐसा अनिश्चित काल के लिए नहीं होना चाहिए। धरना-प्रदर्शन खत्म करने और सड़क खुलवाने की मांग करने वाली याचिका पर कोर्ट ने कहा कि आप इतने समय तक रोड कैसे ब्लॉक कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट के जज संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।  मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी की होगी।

शाहीन बाग में प्रदर्शन के दौरान चार महीने के मासूम की मौत पर भी कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या चार महीने का बच्चा प्रदर्शन के लिए गया था। कोर्ट ने यह संज्ञान ब्रेवरी अवॉर्ड विनर की तरफ से लिखी गई चिट्ठी के बाद लिया है। इसमें बच्चों और नवजात को प्रदर्शन और आंदोलनों के दौरान लेकर जाने पर रोक की मांग की गई थी।

गौरतलब है कि वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी सहित कई लोगों की तरफ से दायर याचिका में शाहीन बाग के बंद पड़े रास्तेम को खुलवाने की मांग की गई थी। इसके अलावा इस पूरे मसले में हिंसा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या हाईकोर्ट के किसी मौजूदा जज द्वारा निगरानी किए जाने की मांग भी की गई थी।

अमित साहनी की तरफ से दिल्लीी हाईकोर्ट में बीते 13 जनवरी को जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की गई थी। शाहीन बाग में सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाया जाए,क्योंकि इससे आम लोगों को बहुत दिक्कफतों का सामना करना पड़ रहा है। न केवल लोग कई-कई घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं, बल्कि ईंधन की बर्बादी के साथ-साथ प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है।

दिल्लीा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से सड़क से हटने की अपील भी की थी, लेकिन वह नहीं माने और लगातार डटे हुए हैं। इसके बाद वकील अमित साहनी ने शीर्ष अदालत का रुख करते हुए एक स्पेरशल लीव पिटीशन दायर की थी। इस याचिका में मुख्य रूप से कहा गया है कि किसी भी नागरिक का प्रदर्शन करना उसका मौलिक अधिकार है और लोकतांत्रिक व्यवस्था  में इसकी मनाही नहीं की जा सकती।

याचिका में कहा गया कि प्रदर्शनकारियों को यह अधिकार बिल्कुल नहीं है कि वो अपने मन मुताबिक जगह पर प्रदर्शन करें, जिससे लाखों लोगों का जनजीवन प्रभावित हो। ऐसे किसी प्रदर्शन से आम लोगों का सड़क मार्ग से गुजरने का अधिकार प्रभावित नहीं किया जा सकता और ऐसे किसी भी प्रदर्शन को अनिश्चितकाल तक जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। 

दरअसल, नागरिक संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग में हजारों लोग दिसंबर 2019 से सड़क संख्याै 13 ए (मथुरा रोड से कालिंदी कुंज) पर बैठे हुए हैं। यह मुख्यं सड़क दिल्लीं को नोएडा, फरीदाबाद से जोड़ती है और रोजाना लाखों लोग आवाजाही में इस सड़क का इस्तेलमाल करते हैं।