राहुल गांधी ने सभी अटकलों पर लगाया विराम,कहा-कांग्रेस जल्द कर ले नए अध्यक्ष का चुनाव
लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने आधिकारिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। राहुल ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार की वह जिम्मेदारी लेते हैं और इसलिए वह कांग्रेस अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे रहे हैं।
राहुल गांधी ने उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया,जिसमें कहा जा रहा था कि वो अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए मान जाएंगे। राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि वो अब कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं और कांग्रेस को जल्दन से जल्दअ नए अध्यक्ष का चुनाव कर लेना चाहिए। राहुल गांधी ने कहा, ''पार्टी को अविलंब नया अध्य्क्ष चुनना चाहिए। मैं इस प्रकिया में कहीं शामिल नहीं हूं। मैं पहले ही अपना इस्ती फा दे चुका हूं और अब पार्टी अध्य क्ष नहीं हूं। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्यूक सी) को जल्दप से जल्दा इस मसले पर मीटिंग करनी चाहिए और फैसला करना चाहिए।''
दरअसल, लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने आधिकारिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। राहुल ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार की वह जिम्मेदारी लेते हैं और इसलिए वह कांग्रेस अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे रहे हैं। इससे पहले राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहने की उनकी कोई चाहत नहीं है और कांग्रेस कार्यकारी समिति (सीडब्ल्यूसी) को इस पद के लिए शीघ्र ही किसी और योग्य व्यक्ति को ढूंढ लेना चाहिए। बताया जा रहा है कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति होने तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा अध्यक्ष पद का कार्यभार देखेंगे।
आपको बताते चलें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्तक के बाद 25 मई को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने हार की नैतिक जिम्मेतदारी लेते हुए पार्टी के अध्यहक्ष पद से इस्तीकफा दे दिया था। हालांकि सीडब्यूा सी ने उनका इस्ती फा सर्वसम्मकति से खारिज कर दिया था। उसके बाद पार्टी के कई वरिष्ठल नेताओं ने राहुल गांधी से पद पर बने रहने का आग्रह करते हुए उनको मनाने की कोशिश भी की। लेकिन राहुल के ताजा बयान के बाद ऐसा लगता है कि उन्हों ने पार्टी अध्येक्ष छोड़ने का मन बना लिया है।
इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी से मुलाकात की और उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहने का आग्रह किया। इस मुलाकात से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि राहुल गांधी ही पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं और देश हित और नागरिकों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बेमिसाल है। लेकिन राहुल ने गहलोत के निवेदन को सिरे से खारिज कर दिया।
सोनिया गांधी और अशोक गहलोत की मुलाकात
कांग्रेस में नेतृत्व संकट के बीच बुधवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संयुक्त प्रगतिशील गठंबधन अध्यक्ष और पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की। सोनिया गांधी के साथ गहलोत की यह मुलाकात 40 मिनट से ज्यादा चली। कांग्रेस के पांचों मुख्यमंत्रियों की राहुल गांधी से मुलाकात के दो दिन बाद गहलोत ने सोनिया से मुलाकात की।
अहमद पटेल और अशोक गहलोत हुए धरने में भी शामिल
मंगलवार को राहुल गांधी के समर्थकों ने पार्टी मुख्यालय के बाहर धरना देकर उनसे फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अहमद पटेल भी धरने में शामिल हुए। धरने में भाग लेने के बाद गहलोत ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावना राहुल गांधी के साथ है, इसलिए सब लोग यहां आए हैं। हम सब उम्मीद करते हैं राहुल गांधी अपना फैसला बदलेंगे।
जनता के हित में है कांग्रेस की पॉलिसी, प्रोग्राम और विचारधारा
राहुल गांधी एक मात्र कांग्रेस का चेहरा हैं जो बीजेपी से लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में राहुल ने जनता की लड़ाई लड़ी। कांग्रेस की पॉलिसी, प्रोग्राम और विचारधारा जनता के हित में है। गहलोत ने कहा कि "राहुल जी अध्यक्ष के रूप में काम संभालें। ये जो लोग यहां बैठे हैं, ये उनकी भावना है जिसका हम आदर करते हैं। राहुल जी के प्रति लोगों का जज्बा है। इन कार्यकर्ताओ ने एक संदेश देने के लिए धरना किया। कांग्रेस के कप्तान राहुल गांधी ही आगे भी रहेंगे। उल्लेरखनीय है कि कांग्रेस का प्रदर्शन इस चुनाव में भी खास नहीं रहा। 2014 की तुलना में वह केवल आठ सीटों में इजाफा कर सकी। पार्टी को 52 सीटें मिली हैं।
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