BJP को RSS की नसीहत,कहा-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह नहीं कर सकते हमेशा मदद,बीजेपी संगठन का करना होगा पुनर्गठन

भरतीय जनता पार्टी को उसकी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद नसीहत दी है। आरएसएस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह हमेशा बीजेपी की मदद नहीं कर सकते। बीजेपी को संगठन का पुनर्गठन करना होगा,जिससे कि विधानसभा स्तर के चुनावों के लिए स्थानीय नेता तैयार किए जा सकें।

BJP को RSS की नसीहत,कहा-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह नहीं कर सकते हमेशा मदद,बीजेपी संगठन का करना होगा पुनर्गठन
GFX of Prime Minister Narendra Modi, Home Minister Amist Shah with RSS Chief Dr. Mohan Bhagwat
BJP को RSS की नसीहत,कहा-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह नहीं कर सकते हमेशा मदद,बीजेपी संगठन का करना होगा पुनर्गठन
BJP को RSS की नसीहत,कहा-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह नहीं कर सकते हमेशा मदद,बीजेपी संगठन का करना होगा पुनर्गठन
BJP को RSS की नसीहत,कहा-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह नहीं कर सकते हमेशा मदद,बीजेपी संगठन का करना होगा पुनर्गठन

भरतीय जनता पार्टी को उसकी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद नसीहत दी है। आरएसएस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह हमेशा बीजेपी की मदद नहीं कर सकते। बीजेपी को संगठन का पुनर्गठन करना होगा,जिससे कि विधानसभा स्तर के चुनावों के लिए स्थानीय नेता तैयार किए जा सकें।

आरएसएस ने अपने अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर के माध्यम से ये बातें कही है। मुखपत्र में लिखा गया है कि कोई खराब उम्मीदवार सिर्फ इसलिए अच्छा होने का दावा नहीं कर सकता,क्योंकि वह जिस पार्टी से संबंध रखता है,वह अच्छी है। सच तो यह है कि जो खराब है,वह खराब ही रहेगा।

ऑर्गनाइजर में ‘डेल्ही डाइवर्जेंट मेंडेट’ शीर्षक से छपे लेख के मुताबिक, ‘‘दिल्ली के बदलते चरित्र में ही जवाब छिपा है। बीजेपी के लिए शाहीन बाग का मुद्दा फेल रहा,क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने इसे खत्म कर दिया।’’ इससे पहले संघ और विश्व हिंदू परिषद ने कहा था कि हिंदूवादी राजनीति के चलते केजरीवाल को अपना ट्रेंड बदलना पड़ेगा।

लेख में यह भी कहा गया, ‘‘नागरिकता संशोधन कानून के बहाने प्रयोग किया गया मुस्लिम कट्टरपंथ का जिन्न केजरीवाल के लिए एक नया परीक्षण आधार बना सकता है। अब केजरीवाल इस खतरे का सामना कैसे करेंगे? वे हनुमान चालीसा से दूरी कैसे बनाएंगे? केजरीवाल भ्रष्टाचार के मुद्दे को अगले चरण तक कैसे ले जाएंगे? इस तरह के कई सवाल दिल्लीवाले उनसे पूछेंगे।’’

ऑर्गनाइजर के संपादकीय में यह भी लिखा गया, ‘‘जनसंघ के जमाने से बीजेपी का दिल्ली में ठोस जनाधार रहा। जब दिल्ली में बाहर से आने वाले लोग बढ़े, खासकर झुग्गीवाले, तो कांग्रेस ने इन्हें रियायतें देकर अपना बना लिया। आप के भ्रष्टाचार निरोधक आंदोलन के बाद मध्यम वर्ग और झुग्गीवासी ‘आप’ के हो गए।’’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस लेख में साफ संदेश दिया गया है कि बीजेपी की दिल्ली यूनिट पूरी तरह से नाकाम रही। यह भी कहा गया है कि जिस तरह ‘आप’ ने 62 सीटें जीतकर विपक्ष का सफाया कर दिया,उसे देखते हुए बीजेपी को जमीनी स्तर पर बदलाव करने होंगे। दिल्ली की करारी हार के बाद बीजेपी का ‘रोड़ा’ बने अपने महासचिवों के बारे में भी सोचना होगा। दिल्ली के बीजेपी प्रमुख मनोज तिवारी की क्लास तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष लगा ही चुके हैं।