दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में 16-17 फरवरी को होगा द्वितीय दलित साहित्य महोत्सव का आयोजन, देशभर के बुद्धिजीवी होंगे शामिल,दलित-वंचित समुदायों में जागृति लाना है उद्देश्य

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज में 16 और 17 फरवरी को द्वितीय दलित साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस दो दिवसीय महोत्सव में देशभर के नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों से शिक्षक और शोधार्थी शामिल होंगे। महोत्सव का उद्देश्य दलित, आदिवासी, स्त्री, घुमंतू, अल्पसंख्यक और अन्य वंचित समुदायों में सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना का प्रसार करना है।

दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में 16-17 फरवरी को होगा द्वितीय दलित साहित्य महोत्सव का आयोजन, देशभर के बुद्धिजीवी होंगे शामिल,दलित-वंचित समुदायों में जागृति लाना है उद्देश्य
Pic Press Conference of Ambedkarite Writers Association in Kirorimal College
दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में 16-17 फरवरी को होगा द्वितीय दलित साहित्य महोत्सव का आयोजन, देशभर के बुद्धिजीवी होंगे शामिल,दलित-वंचित समुदायों में जागृति लाना है उद्देश्य

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज में 16 और 17 फरवरी को द्वितीय दलित साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस दो दिवसीय महोत्सव में देशभर के नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों से शिक्षक और शोधार्थी शामिल होंगे। महोत्सव के दौरान दलित साहित्य और उसकी वैचारिकी से संबंधित पुस्तकों का विमोचन के साथ-साथ दलित साहित्य पुस्तक मेले का आयोजन भी किया जाएगा। अंबेडकरवादी लेखक संघ की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान इसकी जानकारी दी गई।

दलित साहित्य महोत्सव के संयोजक डॉक्टर नामदेव ने संवाददाताओं को बताया कि दलित, आदिवासी, स्त्री, घुमंतू, अल्पसंख्यक और अन्य वंचित समुदायों में सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना का प्रसार करने के उद्देश्य से इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन का एक प्रमुख ध्येय साहित्य के माध्यम से दलित-वंचित समुदायों के जीवन की वास्तविकताओं को सामने लाना है। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में देशभर के करीब 15 भाषाओं के लेखक,विचारक,चिंतक,सामाजिक कार्यकर्ता और संस्कृतिकर्मी कलाकार शामिल हो रहे हैं।

दलित साहित्य महोत्सव के सह-संयोजक डॉक्टर नीलम ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान परिवेश में वंचित समुदायों के समक्ष चुनौतियां बढ़ी हैं। सत्ता और पूंजीवादी शक्तियां शोषण के नित्य नए रूप में सामने आ रही हैं। ऐसे परिवेश में सत्ता और पूंजीवादी शक्तियों को समझना भी बहुत जरूरी है। यह कार्य साहित्य के माध्यम से प्रभावशाली तरीके से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दलित साहित्य डॉ. अंबेडकर के विचारों के मार्गदर्शन में शोषक शक्तियों से लगातार संघर्ष कर रहा है।

दलित साहित्य महोत्सव के सह-संयोजक प्रोफेसर प्रमोद मेहरा ने कहा कि महोत्सव में कई विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं शोधार्थी भी अपने शोध-पत्रों के माध्यम से दलित-वंचित समुदायों की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना प्रस्तुत करेंगे। मीडिया सचिव अशोक बंजारा ने कहा कि यह महोत्सव इसलिए भी विशेष कि इसमें समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होगा। 

दलित साहित्य महोत्सव के संस्थापक संजीव डांडा ने बताया इस अवसर पर दलित साहित्य से संबंधित पुस्तक मेले का आयोजन किया जाएगा। साथ ही नाट्यकला, गीत और संगीत के माध्यम से वंचित समाज की बात की जाएगी।
अंबेडकर लेखक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर बलराज सिंह मार ने बताया कि अंबेडकरवादी लेखक संघ, सामाजिक न्याय की अवधारणा और सामाजिक परिवर्तन के विचारों का वाहक है। इस महोत्सव के माध्यम से हमें सामाजिक न्याय के विचारों के प्रचार और प्रसार में भी मदद मिलेगी।

दलित साहित्य महोत्सव के आयोजक संगठन में अंबेडकरवादी लेखक संघ, किरोड़ीमल कॉलेज का हिंदी विभाग, दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच, लखनऊ का रश्मि प्रकाशन, रिदम पत्रिका, दलित लेखिका परिषद्, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), दिल्ली समर्थक समूह, मंतव्य पत्रिका, दिल्ली का अक्षर प्रकाशन और वितरक, मगध फाउंडेशन, कहानी पंजाब और अम्बेडकर वर्ल्ड शामिल है।