क्या राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन नहीं करेगी शिवसेना? पार्टी नेताओं के बयान से सपोर्ट पर बना सस्पेंस
शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि लोकसभा में उनके कई सवालों के जवाब नहीं दिए गए। राज्यसभा में बिल लाने से पहले बिल में बदलाव करने होंगे नहीं तो उनका वोट बदल भी सकता है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी कहा कि लोकसभा में जो हुआ उसे भूल जाएं, राज्यसभा में बिल आने दें। राज्यसभा में जब बिल आएगा, तो आपको पार्टी का स्टैंड पता चल जाएगा।
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने वाली पार्टी शिवसेना राज्यसभा में क्या रास्ता अख्तियार करेगी? क्या शिवसेना राज्यसभा में बीजेपी का साथ देगी या उसे निराश करेगी? शिवसेना राज्यसभा में भी विधेयक का समर्थन करेगी या नहीं इस पर सस्पेंस है। शिवसेना के नेताओं के बयान ने सस्पेंस पैदा कर दिया है। पार्टी नेता पत्ता नहीं खोल रहे हैं और जो बयान दे रहे हैं उसे कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
दरअसल, शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा में उनके कई सवालों के जवाब नहीं दिए गए। राज्यसभा में बिल लाने से पहले बिल में बदलाव करने होंगे नहीं तो उनका वोट बदल भी सकता है। सोमवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान शिवसेना का कहना था कि जिन लोगों को इस विधेयक के अमल में आने पर नागरिकता मिलने वाली है, उन्हें 25 साल तक मताधिकार नहीं दिया जाए।
शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी कहा कि लोकसभा में जो हुआ उसे भूल जाएं, राज्यसभा में बिल आने दें। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में जब बिल आएगा, तो आपको पार्टी का स्टैंड पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां बात विरोध या समर्थन में नहीं है, बहुत सी बातें है, जिसमें शिवसेना की भूमिका में रही है। राज्यसभा में कल हम अपनी भूमिका रखेंगे। विधेयक के लोकसभा में पास होने के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट करके कहा था कि राजनीति में अंतिम कुछ नहीं होता..चलता रहता है..।
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए शिवसेना सांसद विनायक राउत ने कहा था कि उनकी पार्टी इस पक्ष में है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को यहां सम्मान दिया जाए,लेकिन इसमें श्रीलंका में पीड़ा झेलने वाले तमिलों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से कितने लोग भारत में आए और इस विधेयक के पारित होने के बाद कितने लोगों को नागरिकता दी जाएगी।
विनायक राउत ने कहा कि देश बहुत मुश्किलों का सामना कर रहा है और ऐसे में इन लोगों को नागरिकता देने से देश पर कितना बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर विषय पर कुछ राजनीति नहीं हो रही है,तो जिन लोगों को नागरिकता दी जाएगी,उन्हें 25 साल तक मताधिकार नहीं मिलना चाहिए। शिवसेना नेता ने यह भी पूछा कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद कितने कश्मीरी पंडितों को वहां बसाया गया है।
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