क्या 18 नवंबर तक आ जाएगा राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या मामले में दलीलें पूरी करने के लिए डेडलाइन तय किए जाने से नवंबर तक फैसला आने की उम्मीद बढ़ गई है। सुनवाई के 26वें दिन सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय 18 अक्टूबर तक सभी दलीलें पूरी कर लेगी। सुनवाई अगर 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाती है तो सर्वोच्च न्यायालय को जजमेंट लिखने में 1 महीने का समय लगेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि नवंबर महीने में कभी भी देश की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था के लिहाज से संवेदनशील इस मामले पर फैसला आ सकता है।
क्या आज से एक महीने बाद राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आ जाएगा? क्या इस साल नवंबर महीने में सर्वोच्च न्यायालय राम मंदिर पर अपना फैसला सुना देगा? क्या नवंबर महीने से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा? क्या नवंबर 2019 में देश की करोड़ों जनता का सपना पूरा होने वाला है? क्या भारतीय जनता पार्टी का दशकों पुराना वादा नवंबर महीने में पूरा होने वाला है? ये सवाल मैं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि सर्वोच्च अदालत में अयोध्या मामले को लेकर बड़ी खबर आई है, जिसके मुताबिक राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला इस साल के नवंबर महीने के अंत तक आ सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रंजन गोगोई के इस बयान के बाद फैसला जल्द आने की उम्मीद बढ़ गई है,जिसमें उन्होंने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय 18 अक्टूबर तक सभी दलीलें पूरी कर लेगी और 27 सितंबर तक मुस्लिम पक्षकार अपनी बहस पूरी कर लेंगे। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या मामले में दलीलें पूरी करने के लिए डेडलाइन तय किए जाने से नवंबर तक फैसला आने की उम्मीद बढ़ गई है। आपको बताते चलें कि सर्वोच्च अदालत में राम मंदिर मामले की सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ कर रही हैए जिसमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं।
SC शनिवार को भी सुनवाई को तैयार
दोनों पक्षों के वकीलों राजीव धवन और सीएस वैद्यनाथ के द्वारा दिए गए टेंटेटिव अवधि को देखने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा लगता है कि अयोध्या मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर 2019 तक पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी पक्ष अपनी दलीलें 18 अक्टूबर तक पूरी कर लें। उन्होंने संकेत दिया कि अगर समय कम रहा तो हम शनिवार को भी मामले की सुनवाई कर सकते हैं।
नवंबर के आखिर में आ सकता है फैसला
दरअसल,अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई अगर 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाती है तो सर्वोच्च न्यायालय को जजमेंट लिखने में 1 महीने का समय लगेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि नवंबर महीने में कभी भी देश की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था के लिहाज से संवेदनशील इस मामले पर फैसला आ सकता है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में उनके रिटायरमेंट से पहले फैसला आने की संभावना बढ़ गई है। यही नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने हर दिन सुनवाई को एक घंटा बढ़ाने और यदि जरूरत हो तो शनिवार को भी सुनवाई किए जाने का सुझाव दिया है।
मुख्य न्यायाधीश ने क्या कहा?
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 18 अक्टूबर तक दलीलें और सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए ताकि फिर फैसला लिखा जा सके। इस पर मुस्लिम पक्ष ने 27 सितंबर तक अपनी दलीलें खत्म करने की बात कही है। इसके बाद हिंदू पक्ष ने क्रॉस आर्ग्युमेंट में 2 दिन और लगने की बात कही है। वहींए मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि हमें भी 2 दिन और क्रॉस आर्ग्युमेंट के लिए लगेंगे। इस तरह दोनों पक्षों की दलीलों पूरी होने के बाद 4 दिन क्रॉस आर्ग्युमेंट में लगेंगे।
मध्यस्थता पर भी बोले मुख्य न्यायाधीश
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हमें मध्यस्थता के लिए पत्र मिला है। इन कोशिशों को सुनवाई से अलग समानांतर तौर पर जारी रखा जा सकता है। बता दें कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने पत्र लिखकर मध्यस्थता पैनल से एक बार फिर से बातचीत के जरिए मसले को हल करने की कोशिशें करने की बात कही थीं। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी कोशिशें करने वाले फ्री हैंए लेकिन सुनवाई जारी रहेगी। मुख्य न्ययाधीश की ओर से सुनवाई की डेडलाइन तय किए जाने के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील ने पूछा कि आखिर फैसला लिखने में आपको कितना वक्त लगेगाए हम फैसला चाहते हैं।
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