सत्ता मिलने पर बिखर तो नहीं जाएगी एकता? विपक्षी नेताओं को उद्धव ठाकरे की नसीहत

सत्ता मिलने पर बिखर तो नहीं जाएगी एकता? विपक्षी नेताओं को उद्धव ठाकरे की नसीहत

कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में शुक्रवार को 19 दलों ने एकजुट रहकर अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का मुकाबला करने की बात कही। बैठक में शामिल शिवसेना प्रमुख और महाष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विपक्षी दलों को यह भी नसीहत दी कि सत्ता सामने दिखने पर एकजुटता बनी रहेगी, यह विश्वास जनता को दिलाना होगा। असल में उनका इशारा उन आशंकाओं को खारिज करने की जरूरत पर था, जिनमें बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि नेतृत्व के सवाल पर यह एकता टूट जाएगी। 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विपक्षी दलों से अनुरोध किया कि वे जनता का भरोसा जीतें और एकजुट व मजबूत रहें। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई विपक्षी दलों के नेताओं की ऑनलाइन बैठक के दौरान उन्होंने यह अपील की। शिवसेना नेता संजय राउत ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, ''बैठक के दौरान, ठाकरे ने इस बात पर जोर दिया कि दलों को जनता का विश्वास जीतना होगा।'' राउत के मुताबिक ठाकरे ने कहा, ''अभी तो विपक्षी दलों में सत्ता को लेकर कोई लालसा नहीं है। लेकिन जब सत्ता सामने होगी तब भी विपक्षी दलों पर लोगों का यह भरोसा होना चाहिए कि वे मजबूत और एकजुट रहेंगे।'' 

राउत ने कहा कि सोनिया गांधी ने सभी दलों के नेताओं से व्यक्तिगत रूप से बात की थी और उनसे बैठक में आने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी चर्चा हुई कि एकजुट रहकर आगामी आम चुनाव की किस तरह तैयारी की जा सकती है, इसके अलावा कथित पेगासस जासूसी मामला, किसानों से जुड़े मुद्दे, बढ़ती महंगाई और 'लोकतंत्र पर हमला विषय पर भी ऑनलाइन बैठक में चर्चा हुई। अफगानिस्तान में हालात के बारे में सवाल पूछे जाने पर राउत ने कहा कि भारत को तालिबान से खतरा है क्योंकि उसे भारत के शत्रुओं पाकिस्तान और चीन का समर्थन है। उन्होंने कहा, ''भारत में तालिबान के समर्थन में आवाज उठती है तो सरकार को उन्हें तुरंत कुचल देना चाहिए।''
    
सोनिया द्वारा बुलाई गई इस डिजिटल बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रमुक नेता एम. के. स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री एवं झामुमो नेता हेमंत सोरेन और महाराष्ट्र के मुख्यमत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे समेत 19 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए थे।