टूलकिट मामलाः 26 जनवरी को थी हिंसा की साजिश, जान देने को तैयार थे लोग
सिब्बल ने कहा, यह एक सबसे दुर्भाग्यपूर्ण मामला है जहां मीडिया, टीआरपी हासिल करने के लिए नागरिकों के अधिकारों को रौंद रहा है। एक 22 वर्षीय युवती का मामला है। उन्होंने अदालत से इस टूलकिट मामले में कथित रूप से ‘एक तरफा’ रिपोर्ट चलाकर उल्लंघनात्मक रिपोर्टिंग के लिए इंडिया टुडे, टाइम्स नाउ और न्यूज 18 के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, मीडिया में एकतरफ व अर्ध-सत्य तथ्यों को दिखाया जा रहा है।
टूलकिट मामले की पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने दिल्ली में 26 जनवरी को हिंसा की साजिश रची थी। कुछ लोग जान देने को भी तैयार थे, लेकिन दिल्ली पुलिस की रणनीति के कारण उपद्रवी मंसूबों में सफल नहीं हो सके। इसके बाद एक और टूलकिट बनाई गई। उधर, पुलिस आरोपियों के बैंक खातों का पांच वर्षों का रिकॉर्ड भी खंगाल रही है। सूत्रों का कहना है कि टूलकिट के लिए विदेशों से फंडिंग की गई।
दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहली टूलकिट 23 जनवरी को बनाई गई थी। हालांकि, इसका ड्राफ्ट 20 जनवरी को तैयार हो गया था। शांतनु ने अपनी ई-मेल से टूलकिट तैयार कराई थी और निकिता व दिशा ने इसे एडिट किया। पहली टूलकिट के हिसाब से आरोपी चाहते थे कि 26 जनवरी को हिंसा हो और पुलिस की कार्रवाई में कई लोगों की जान चली जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
ग्रेटा की वजह से दोबारा हुए नाकाम
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पहली टूलकिट में रची गई साजिश के नाकाम होने के बाद फरवरी के पहले सप्ताह में कुछ बड़ा करने के लिए 31 जनवरी को दूसरी टूलकिट बनाई। यह टूलकिट अधिक विस्तृत व खतरनाक थी और इसमें अधिक लिंक, नाम और हैशटैग शामिल थे। इसका प्रारूप मरीना पैटरसन द्वारा बनाया गया था। फरवरी के पहले सप्ताह में ट्विटर पर तूफान लाकर कुछ बड़ा करने का फैसला किया गया था। एडिट किए बिना इस टूलकिट को स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को भेजने से ये भी फेल हो गया।
31 जनवरी को बनाई थी दूसरी टूलकिट
पहली टूलकिट की कुछ सामग्री भी दूसरे टूलकिट में मौजूद थी। दिशा रवि ने इसे 3 फरवरी को ग्रेटा को टेलिका एप के माध्यम से भेजा था। मरीना पैटरसन एक एनजीओ की सदस्य है, जो यूके से संचालित होता है। यह वही एनजीओ है, जिसके लिए शांतनु और निकिता भारत में काम कर रहे हैं। दूसरे टूलकिट का प्रारूप मरीना पैटरसन ने 31 जनवरी को बनाया था और बाद में इसे निकिता और फिर दिशा व शांतनु को साझा किया गया।
आंदोलन की आड़ लेना चाहते थे
दिल्ली पुलिस ने निकिता, दिशा और शांतुन के बैंक खातों का पांच साल का ब्योरा मांगा है। दिशा की कंपनी से संबंधित खातों की जानकारी भी मांगी गई है। पुलिस को आशंका है कि किसान आंदोलन की आड़ में दंगे भड़काने के लिए विदेशों से फंडिंग की गई। पुलिस इनके किसान नेता व किसानों से संपर्क को भी खंगाल रही है।
दिशा की याचिका पर पुलिस समेत कई मीडिया संस्थानों को नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने किसान आंदोलन से जुड़ी टूलकिट साझा करने के मामले में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली पुलिस व कई मीडिया हाउस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में दिशा रवि ने पुलिस पर उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा उन्होंने अदालत से जांच सामग्री को लीक करने से रोकने व मीडिया में एकतरफा खबरें दिखाने पर रोक लगाने की मांग की है।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह के समक्ष हालांकि दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि दिल्ली पुलिस की तरफ से कुछ भी लीक नहीं हुआ है। अदालत ने उनके बयान को रिकार्ड पर लेते हुए दिल्ली पुलिस को शुक्रवार तक अपना जवाब शपथपत्र में दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इसके अलावा राष्ट्रीय प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए), टाइम्स नाउ और न्यूज18 को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि इंडिया टुडे का प्रतिनिधि सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहे।
इस दौरान दिशा रवि के वकील अमित सिब्बल ने कहा, पुलिस जानबूझ कर उनकी मुवक्किल की छवि खराब करने के लिए प्राथमिकी व अन्य जांच के तथ्य मीडिया में लीक कर रही है। यह दिल्ली पुलिस है जिसने आपराधिक मामले की गोपनीय जानकारी मीडिया में दी। सिब्बल ने कहा, रवि को पुलिस ने 13 फरवरी को गिरफ्तार किया था और सभी सामग्री पुलिस ने जब्त कर ली थी तो वह मीडिया के पस कैसे आई।
उन्होंने अदालत से कहा कि मीडिया खुद कह रही है कि उनके पास पुलिस के रिकॉर्ड हैं, आखिर ये रिकॉर्ड मीडिया तक कैसे पहुंच रहे हैं? इस पर मेहता ने सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा, यह सब मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है हमने एक भी तथ्य को लीक नहीं किया। हम इस मुद्दे को लेकर शपथपत्र भी दायर करने को तैयार है। अदालत अब शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करेगी।
रवि ने अपनी याचिका में कहा, वह पूर्वाग्रह से ग्रसित उनकी गिरफ्तारी और मीडिया ट्रायल से काफी दुखी हैं, जहां उन पर पुलिस और कई मीडिया घरानों द्वारा स्पष्ट रूप से हमला किया जा रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ द्वारा 13 फरवरी को बंगलूरू से उनको गिरफ्तार किया जाना पूरी तरह से गैरकानूनी और निराधार था। दिशा रवि वर्तमान में पांच दिन के पुलिस रिमांड पर हैं। याचिका में उन्होंने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा उनके मामले से संबंधित किसी भी जांच सामग्री को लीक करने से रोकने की मांग की गई है, जिसमें उनके द्वारा किसी तीसरे पक्ष को निजी चैट/संचार की कथित सामग्री शामिल है ।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि टीआरपी के लिए नागरिक अधिकारों को रौंदा जा रहा
सिब्बल ने कहा, यह एक सबसे दुर्भाग्यपूर्ण मामला है जहां मीडिया, टीआरपी हासिल करने के लिए नागरिकों के अधिकारों को रौंद रहा है। एक 22 वर्षीय युवती का मामला है। उन्होंने अदालत से इस टूलकिट मामले में कथित रूप से ‘एक तरफा’ रिपोर्ट चलाकर उल्लंघनात्मक रिपोर्टिंग के लिए इंडिया टुडे, टाइम्स नाउ और न्यूज 18 के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, मीडिया में एकतरफ व अर्ध-सत्य तथ्यों को दिखाया जा रहा है।
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