किसानों के मुद्दे पर अन्ना हजारे की केंद्र सरकार को चेतावनी- कब और कहां होगा अनशन, जल्द बताऊंगा

80 वर्षीय हजारे ने कहा कि जल्द ही केन्द्र सरकार को अनशन की तिथि और स्थान के बारे में बता दिया जाएगा। हजारे ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर आठ दिसंबर को किसान संगठनों के भारत बंद के दौरान उपवास रखा था। उन्होंने सरकार को सीएसीपी को स्वायत्तता प्रदान करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में नाकाम रहने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी।

किसानों के मुद्दे पर अन्ना हजारे की केंद्र सरकार को चेतावनी- कब और कहां होगा अनशन, जल्द बताऊंगा
Anna hazare

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सोमवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एम. एस. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने समेत विभिन्न मांगों को पूरा करने में 'नाकाम' रही केंद्र सरकार के खिलाफ 'अनशन' शुरू करने की चेतावनी दी। हजारे की अन्य मांगों में कृषि लागत एवं दाम आयोग (सीएसीपी) को स्वायत्ता प्रदान करना शामिल है। हजारे ने कहा है कि कब और कहां आंदोलन होगा, इसके बारे में जल्द जानकारी दी जाएगी।

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले हजारे फरवरी 2019 में महाराष्ट्र के अहमदनगर में अपने गांव रालेगण सिद्धि में उपवास पर बैठ गए थे। तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने हजारे लिखित आश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों तथा अन्य कृषि संबंधी मांगों पर चर्चा के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन करेगी, जिसके बाद उन्होंने अपना उपवास खत्म कर दिया था।

तोमर को लिखे गए हजारे के पत्र को पत्रकारों के साथ साझा किया गया है। इसमें राधामोहन सिंह के उस पत्र को भी संलग्न किया गया है, जिसमें आश्वासन दिया गया था उच्च स्तरीय समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर 30 दिसंबर 2019 तक सौंप देगी। हजारे ने तोमर को लिखे पत्र में कहा, ''केंद्र ने आश्वासन दिया था कि मांगों को लेकर समिति की रिपोर्ट के आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे। क्योंकि तय तिथि तक कुछ नहीं हुआ है, इसलिये मैं पांच फरवरी 2019 को खत्म किया गया अनशन फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा हूं।''

80 वर्षीय हजारे ने कहा कि जल्द ही केन्द्र सरकार को अनशन की तिथि और स्थान के बारे में बता दिया जाएगा। हजारे ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर आठ दिसंबर को किसान संगठनों के भारत बंद के दौरान उपवास रखा था। उन्होंने सरकार को सीएसीपी को स्वायत्तता प्रदान करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में नाकाम रहने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी।