बिहार में कोरोना जांच में मनमानी, आरटीपीसीआर जांच के लिए अधिक राशि वसूल रहे निजी लैब

बिहार में कोरोना जांच में मनमानी, आरटीपीसीआर जांच के लिए अधिक राशि वसूल रहे निजी लैब

बिहार के विभिन्न जिलों में कोरोना की जांच को लेकर निजी जांच लैब द्वारा निर्धारित राशि से अधिक राशि वसूल की जा रही है। उत्तर बिहार के अधिकांश जिलों में जांच सैम्पल एकत्र किए जाने को लेकर नामचीन कंपनियों द्वारा बनाये गए सेंटरों पर आरटीपीसीआर जांच के नाम पर अधिक राशि वसूल किये जाने की शिकायतें मरीजों द्वारा मिल रही हैं। 

छोटी पहाड़ी स्थित एक नामचीन निजी लैब ने वसूले 1250 रुपये
कंकड़बाग स्थित छोटी पहाड़ी पर स्थित एक नामचीन निजी जांच लैब में आरटीपीसीआर जांच के सैम्पल देने गए व्यक्ति से जांच के नाम पर 2250 रुपए वसूल लिए गए। इसी प्रकार, मुजफ्फरपुर स्थित एक निजी जांच लैब ने आरटीपीसीआर जांच के नाम पर 1500 रुपये जांच शुल्क वसूल किये। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा गत दिसम्बर को जारी आदेश में आरटीपीसीआर जांच का शुल्क 800 रुपये प्रति जांच और घर से सैम्पल लेने पर 300 रुपये अतिरिक्त शुल्क लेने तथा एंटीजन टेस्ट के लिए 250 रुपये तय था। इसके पूर्व राज्य में आरटीपीसीआर जांच की दर 1500 रुपये और एंटीजन टेस्ट की दर 500 रुपये निर्धारित थी, जिसे कम किया गया था। 

राज्य के विभिन्न जिलों में अधिक जांच शुक्ल वसूल किये जाने की लगातार शिकायतें आ रही हैं। पटना के एक नामचीन निजी लैब ने तो पूछे जाने पर जांच किट के अनुपलब्ध होने की ही जानकारी दी, जबकि राज्य सरकार से इस लैब को कोविड टेस्ट करने की अनुमति मिली हुई है।

जांच रिपोर्ट की जानकारी आईसीएमआर पोर्टल पर देना जरूरी
स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के अनुसार आईसीएमआर के पोर्टल पर जांच की रिपोर्ट दर्ज कराना अनिवार्य होगा। जांच से संबंधित सूचना स्टेट सर्विलांस अधिकारी के ई-मेल पर रोज संध्या पांच बजे तक देना अनिवार्य होगा। सभी पॉजिटिव केस की सूचना तत्काल संबंधित जिला के सिविल सर्जन तथा जिला सर्विलांस अधिकारी को देना अनिवार्य किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि कोई भी निजी जांच लैब कोविड 19 की जांच को लेकर निर्धारित शुल्क से अधिक राशि लेता है तो यह सरकार के आदेश का उल्लंघन हैं और लिखित शिकायत मिलने पर ऐसे जांच लैब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। अधिक राशि लिए जाने की शिकायत संबंधित जिले के जिलाधिकारी या सिविल सर्जन के पास की जा सकती है।