रेप के मामले में LJP सांसद प्रिंस राज पासवान पर दिल्ली में केस दर्ज, एफआईआर में चिराग के नाम का भी जिक्र

रेप के मामले में LJP सांसद प्रिंस राज पासवान पर दिल्ली में केस दर्ज, एफआईआर में चिराग के नाम का भी जिक्र

बिहार के समस्तीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के सांसद प्रिंस राज पासवान (LJP MP Prince Raj Paswan) पर दिल्ली पुलिस ने बलात्कार के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। प्रिंस, जो पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष भी हैं, उन पर पार्टी की एक पूर्व कार्यकर्ता के साथ कथित रूप से बलात्कार करने का आरोप है। पीड़िता द्वारा दिल्ली में पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लगभग तीन महीने बाद दिल्ली की एक अदालत के निर्देश के बाद एफआईआर दर्ज की गई थी। प्रिंस राज पहली बार पीड़िता से जनवरी 2020 में मिले थे, जो 2019 में पार्टी में शामिल हुई थी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि अदालत के निर्देश पर मामला दर्ज किया गया है। अधिकारी ने कहा, “अदालत का आदेश बीते गुरुवार को आया था और हमने संबंधित धाराओं में कनॉट प्लेस पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया। प्रिंस के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 376 (2)(K), 506, 201, 120B के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। 

पुलिस के अनुसार, दोनों की मुलाकात वेस्टर्न कोर्ट, जनपथ दिल्ली में हुई थी, जहां प्रिंस ने कथित तौर पर पीड़िता को नशीला पदार्थ देकर उसका यौन उत्पीड़न किया और इस कृत्य का वीडियो बना लिया और उसे धमकी दी। इसके बाद वह नियमित रूप से पीड़िता के घर जाने लगे। एफआईआर में कहा गया है कि पीड़िता के जबरन इस रिश्ते से बाहर निकलने के प्रयासों को भांपते हुए प्रिंस ने उसे धमकी दी।

चिराग को भी मामले की जानकारी: एफआईआर के मुताबिक पीड़िता ने पार्टी के वरिष्ठ नेता चिराग पासवान से भी मुलाकात की और उन्हें मामले की जानकारी दी। पासवान ने उन्हें पूरे मामले को सुलझाने का आश्वासन भी दिया और उन्हें मामला दर्ज नहीं करने के लिए राजी किया। पीड़िता ने एफआईआर में आरोप लगाया कि आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई। बाद में फरवरी 2020 में पीड़िता द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद प्रिंस राज ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया है कि उन्होंने पीड़िता को 14 घंटे से अधिक समय तक अवैध हिरासत में रखा और पुलिस की मिलीभगत से उसके खिलाफ उपलब्ध सभी सबूतों को गढ़ा। मई 2021 में पीड़िता द्वारा दिल्ली के संसद मार्ग थाने में एक शिकायत दी गई थी। पुलिस द्वारा कार्रवाई में कमी को देखते हुए दिल्ली की एक अदालत ने थाने को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था।