गुजरात से दिल्ली तक होगी ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’,प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण का होगा संरक्षण 

गुजरात के पोरबंदर से दिल्ली-हरियाणा की सीमा यानी पानीपत तक बनने वाली इस ग्रीन बेल्ट से बढ़ते वन क्षेत्र में भी सुधार होगा। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, हरियाणा से लेकर दिल्ली तक फैली हुई पर्वतमाला पर घटती हरियाली का संकट भी कम किया जा सकेगा। इस वॉल के निर्माण का मकसद देश में पर्यावरण को बचाना और हरित क्षेत्र को बढ़ाना है।

गुजरात से दिल्ली तक होगी ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’,प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण का होगा संरक्षण 
GFX of Green Wall Of India
गुजरात से दिल्ली तक होगी ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’,प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण का होगा संरक्षण 
गुजरात से दिल्ली तक होगी ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’,प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण का होगा संरक्षण 
गुजरात से दिल्ली तक होगी ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’,प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण का होगा संरक्षण 

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार गुजरात से दिल्ली तक 1400 किलोमीटर लंबी और 5 किमी चौड़ी ग्रीन वॉल बनाने पर विचार कर रही है। यह बॉल राजस्थान से होते हुए दिल्ली-हरियाणा की सीमा यानी पानीपत तक बनेगी। अफ्रीका में सेनेगल से जिबूती तक बनी हरित पट्टी की तर्ज पर इस वॉल का निर्माण किया जाएगा।

पोरबंदर से पानीपत तक बनने वाली इस ग्रीन बेल्ट से बढ़ते वन क्षेत्र में भी सुधार होगा। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, हरियाणा से लेकर दिल्ली तक फैली हुई पर्वतमाला पर घटती हरियाली का संकट भी कम किया जा सकेगा। इस वॉल के निर्माण का मकसद देश में पर्यावरण को बचाना और हरित क्षेत्र को बढ़ाना है।

पश्चिम भारत और पाकिस्तान के रण यानी रेतीले इलाके से दिल्ली तक उड़कर आने वाली धूल को इस ग्रीन वॉल से रोका जा सकेगा। बताया जा रहा है कि भारत में वनों की घटती संख्या और बढ़ते रण को रोकने के लिए यह विचार हाल ही में ही संयुक्त राष्ट्र की कॉन्फ्रेंस में रखा गया।

सरकार से अगर इस प्रोजेक्ट को मंजूर मिल जाती है, तो भारत में बढ़ते प्रदूषण को रोकने का यह प्रयास बहुत ही कारगर साबित हो सकता है।  भारत ने 2030 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस प्रोजेक्ट से करीब 2.6 करोड़ हेक्टयेर जमीन को प्रदूषण मुक्त किया जा सकेगा। हालांकि. केंद्र सरकार की ओर से अभी इस योजना की शुरुआती चरण में चर्चा शुरू की गई है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने भी 2016 में एक नक्शा जारी किया था। उस नक्शे के अनुसार गुजरात, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्य और केंद्र शासित राज्यों में जहां 50 फीसदी से भी अधिक जमीन हरित क्षेत्र से बाहर है। इसलिए इन जगहों पर रेगिस्तान के बढ़ने की आशंका है।

गौरतलब है कि अफ्रीका में ग्रेट ग्रीन वॉल पर करीब एक दशक पहले से ही काम शुरू हो चुका है। हालांकि इस प्रोजेक्ट में कई देशों की भागीदारी होने से और उनकी अलग-अलग कार्यप्रणाली होने के कारण अभी तक यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका है। अफ्रीका की ग्रीन वॉल सेनेगल से लेकर जिबूती तक बनेगी। पर्यावरण में परिवर्तन और बढ़ते रेगिस्तान को कम करने के लिए उसका निर्माण किया जा रहा है।