अयोध्या भूमि विवाद मामले में हिन्दू पक्षकारों ने सर्वोच्च अदालत में दायर की ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’, संपत्ति के प्रबंधन को लेकर मांगे निर्देश 

मोल्डिंग ऑफ रिलीफ में यह तय किया जाता है कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से जिस संपत्ति की मांग की है। अगर कोर्ट अपने फैसले में उसे नहीं देता है, तो विकल्प के तौर पर उसे क्या दिया जा सकता है। अयोध्या मामले को देखें, तो एक से अधिक दावेदारों वाली जमीन का मालिकाना हक किसी एक पक्ष को मिलने पर अन्य पक्षों को इसके बदले क्या मिलेगा, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के जरिए इस बारे में लिखित नोट फाइल कराए गए हैं।

अयोध्या भूमि विवाद मामले में हिन्दू पक्षकारों ने सर्वोच्च अदालत में दायर की ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’, संपत्ति के प्रबंधन को लेकर मांगे निर्देश 
GFX Supreme Court of India
अयोध्या भूमि विवाद मामले में हिन्दू पक्षकारों ने सर्वोच्च अदालत में दायर की ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’, संपत्ति के प्रबंधन को लेकर मांगे निर्देश 
अयोध्या भूमि विवाद मामले में हिन्दू पक्षकारों ने सर्वोच्च अदालत में दायर की ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’, संपत्ति के प्रबंधन को लेकर मांगे निर्देश 

उत्तर प्रदेश के आयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में अखिल भारतीय हिंदू महासभा समेत दूसरे अन्य हिंदू पक्षों ने सर्वोच्च अदालत में ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ दायर किया है। अदालत को सीलबंद लिफाफे में सौंपे गए इस नोट में कहा गया है कि अदालत विवादित संपत्ति के प्रबंधन को लेकर निर्देश जारी कर सकता है। अयोध्या भूमि विवाद मामले में 40 दिन तक चली सुनवाई 16 अक्टूबर को पूरी हुई थी। तब 5 जजों की संविधान पीठ ने सभी पक्षकारों से तीन दिन के भीतर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर लिखित नोट देने के लिए कहा था।

मोल्डिंग ऑफ रिलीफ यानी मालिकाना हक किसी एक या दो पक्ष को मिल जाए तो बचे हुए पक्षों को क्या वैकल्पिक राहत मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 और सिविल प्रोसिजर कोड यानी सीपीसी की धारा 151 के तहत इस अधिकार का इस्तेमाल करता है। विशेषकर संपत्ति के मालिकाना हक यानी टाइटल सूट डिक्री के मामलों में 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' का प्रावधान है।

इसमें तय किया जाता है कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से जिस संपत्ति की मांग की है। अगर कोर्ट अपने फैसले में उसे नहीं देता है, तो विकल्प के तौर पर उसे क्या दिया जा सकता है। अयोध्या मामले को देखें, तो एक से अधिक दावेदारों वाली जमीन का मालिकाना हक किसी एक पक्ष को मिलने पर अन्य पक्षों को इसके बदले क्या मिलेगा, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के जरिए इस बारे में लिखित नोट फाइल कराए गए हैं।

आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था। 2010 में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।