भारतीय शोधकर्ताओं ने खोजा दुर्लभ सुपरनोवा, ब्रह्मांड निर्माण के रहस्यों का मिल सकता है पता
भारतीय शोधकर्ताओं ने एक खास किस्म के चमकीले तारे का पता लगाने में सफलता हासिल की है। यह सुपरनोवा तारा किसी दूसरे स्रोत की ऊर्जा से प्रकाशमान होता है। साथ ही इसकी मैग्नेटिक फील्ड भी काफी शक्तिशाली है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। इस तरह के सुपरनोवा को सुपरल्यूमिनस सुपरनोवा कहा जाता है और यह बेहद दुर्लभ होते हैं। मंत्रालय का कहना है कि इस सुपरनोवा का गहराई से अध्ययन ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने में मददगार हो सकता है।
सुपरल्यूमिनस सुपरनोवा इसलिए दुर्लभ होता है क्योंकि इसकी उत्पत्ति बहुत विशालकाय तारों से होती है। यह तारे सूर्य से 25 गुना अधिक बड़े होते हैं और ब्रह्मांड में ऐसे तारों की संख्या भी बेहद कम होती है। टीम ने इस तारे का पता हाल ही में स्थापित देवस्थल आप्टिकल टेलीस्कोप के साथ दो अन्य भारतीय टेलीस्कोप, संपूर्णानंद और हिमालयन चंद्रा के सहारे लगाया है। मिनिस्ट्री की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक प्याज के आकार के इस सुपरनोवा की बाहरी सतह खुली हुई है। वहीं इसका बीच का हिस्सा किसी अन्य ऊर्जा स्रोत से प्रकाशमान हो रहा है।
इस अध्ययन को अमित कुमार के नेतृत्व में अंजाम दिया गया है। अमित डॉक्टर एसबी पांडेय के अंडर में पीएचडी कर रहे हैं। यह अध्ययन रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के महीने में प्रकाशित होने वाली सूचनाओं का हिस्सा है। यह अध्ययन भविष्य में अन्य सुपरनोवा के बारे में भी जानकारी जुटाने में मददगार हो सकता है। साथ ही इससे गामा किरणों के विस्फोट में जानकारी मिल सकती है।
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