80 साल की आदिवासी महिला की पेंटिग्स इटली के मिनाल में कला दीर्घा में लगी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रही है पहचान
जोधइया बाई की सफलता पर एक आदिवासी कार्यकर्ता ने कहा, यह देख कर ही खुशी होती है कि आदिवासियों के पास अब भी ठीक शिक्षा नहीं, फिर भी उनकी कला गर्व के काबिल है। इससे समुदाय के दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी। जोधइया बाई की शैक्षणिक योग्यता शून्य है, लेकिन उनके चित्रों को प्रदर्शनी के इन्वाइटिंग लेटर के कवर पेज पर जगह मिली है। उनके चित्र आज दुनिया के मशहूर चित्रकार लियोनार्दो द विंची के देश इटली की कला दीर्घा में सजे हैं।
8० साल की आदिवासी महिला इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं, एक साधारण परिवार की अनपढ़ महिला की पेंटिंग इटली के मिलान शहर में आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं दरअसल दुनिया भर में फैशन और डिजाइन के चर्चित इटली के मिलान शहर में मध्य प्रदेश के उमरिया की 80 साल की महिला की पेंटिंग्स एग्जीविशन लगी है। जिले के लोढ़ा गांव की रहने वाली जोधइया बाई बैगा की पेंटिंग्स एग्जीविशन 11 अक्टूबर तक चलेगी।
जोधइया बाई की शैक्षणिक योग्यता शून्य है, लेकिन उनके चित्रों को प्रदर्शनी के इन्वाइटिंग लेटर के कवर पेज पर जगह मिली है। उनके चित्र आज दुनिया के मशहूर चित्रकार लियोनार्दो द विंची के देश इटली की कला दीर्घा में सजे हैं।
जोधइया बाई ने बताया, आज कल मैं पेंटिंग्स के अलावा और कुछ नहीं करती। अच्छा लग रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेरी पेंटिंग्स को पहचान मिल रही है। करीब 40 साल पहले पति की मौत हो गई थी। परिवार के गुजर-बसर को कोई रास्ता नहीं था। गुरु आशीष स्वामी ने कहा, अपने पारंपरिक चित्र बनाओ तो बच्चे पलेंगे। इसके बाद मैंने कूची थाम ली। मैने जंगली जानवरों से लेकर जो भी सूझा बनाया। देश के कई हिस्सों में गई। वहां चित्रों की प्रदर्शनी लगाई।
इस उपलब्धि पर उनके शिक्षक आशीष स्वामी का कहना है कि जोधइया बाई ने अपना हुनर दिखाना शुरू किया है। वह अभी कई कीर्तिमान स्थापित करेंगी। वह 2008 से हमारे केंद्र में आ रही हैं।
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