जानिए, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुताबिक कैसे दुरुस्त होगी देश की अर्थव्यवस्था?
देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कई महत्वपूर्ण सलाह दी हैं। दैनिक भाष्कर को दिए इंटरव्यू में डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार को नौकरियां देने वाले सेक्टर्स को मजबूत करना चाहिए। साथ ही उनका मानना है कि देश आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहा है, ये स्ट्रक्चरल और साइक्लिक दोनों है।
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर पूरा देश चंतित है। लगातार गिरते विकास दर, बढ़ती मंदी और रुपये के गिरते वैल्यू के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि पांच कदमों को उठाने से मौजूदा अर्थव्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री ने मौजूदा आर्थिक स्थिति के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे सरकारी कदम को जिम्मेदार बताया है।
दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा है कि पांच तरीकों को लागू करने से पहले यह स्वीकार करना होगा कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है। केंद्र सरकार को एक्स्पर्ट्स और सभी स्टेकहॉल्डर्स से खुले दिमाग से बात करनी होगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का कोई फोकस्ड अप्रोच नहीं दिखाई दे रहा है।
मनमोहन सिंह ने इंटरव्यू में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को हेडलाइन मैनेजमेंट की आदत से बाहर आना होगा। मनमोहन सिंह ने पांच तरीके बताए हैं जिसमें पहला है कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि भले ही थोड़े समय के लिए कर का नुकसान भी हो।
दूसरे कदम के बारे में मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार को ग्रामीण खपत को बढ़ाने और कृषि सेक्टर को फिर से जीवित करने के लिए नए तरीकों को खोजना होगा। उन्होंने कहा कि इसे लेकर कांग्रेस मेनिफेस्टो में ठोस विकल्प दिए गए हैं। इसमें कृषि बाजारों को मुफ्त करना होगा जिससे लोगों के पास पैसा आ सके।
तीसरे कदम के बारे में डॉ. मनमोहन सिंह ने बताया कि पूंजी निर्माण के लिए कर्ज की कमी को दूर करना होगा। चौथा उपाय कपड़ा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और किफायती आवास जैसे प्रमुख क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना है।
मनमोहन सिंह ने पांचवे उपाय को लेकर कहा कि हमें अमेरिका-चीन में चल रहे ट्रेडवॉर के चलते खुल रहे नए निर्यात बाजारों को पहचानना होगा। याद रखना चाहिए कि साइक्लिक और स्ट्रक्चरल दोनों समस्याओं का समाधान जरूरी है। तभी हम 3-4 साल में उच्च विकास दर को वापस पा सकते हैं।
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