जानिए, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग से मिली मंजूरी के बाद कबतक हो पाएगी देश के पहले केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना?
केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग की ओर से देश के पहले केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार को अब कानून मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार है। कानून मंत्रालय की मंजूरी के बाद राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृति विद्यापीठ दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठम तिरूपति को डीम्ड टू-बी यूनिवर्सिटी से सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने का रास्ता खुल जाएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग की ओर से देश के पहले केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार को अब कानून मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार है। कानून मंत्रालय की मंजूरी के बाद राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृति विद्यापीठ दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठम तिरूपति को डीम्ड टू-बी यूनिवर्सिटी से सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने का रास्ता खुल जाएगा। कैबिनेट में मसौदा पास होते ही उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र में पहली संस्कृत सेंट्रल यूनिवर्सिटी का बिल सदन में पास हो जाएगा।
दरअसल, संस्कृत को बढ़ावा देने के मकसद से पहली संस्कृत सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की योजना तैयार की गई है। संस्कृत प्राचीन भारत की पहचान रही है। योग की तर्ज पर दुनिया भर में संस्कृत को पहचान दिलाने के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनायी जाने की योजना है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृति विद्यापीठ दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठम तिरूपति को डीम्ड टू-बी यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त है। तीनों राष्ट्रीय संस्थान संस्कृत में ही पढ़ाई करवाते है। इसलिए तीनों संस्थानों को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा बनाने के लिए चुना गया है।
आपको बताते चलें कि 1970 में राष्ट्रीय संस्कृति संस्थान दिल्ली की स्थापना हुई थी, जबकि लाल बहादुर राष्ट्रीय संस्कृति विद्यापीठ को 1962 में खोला गया था। तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना 1961 में की गई थी। यूजीसी से तीनों संस्थानों को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला हुआ है। तीनों डीम्ड संस्थान केंद्र सरकार के अधीन हैं। इससे पहले भारत में भाषा पर आधारित दो सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैं, जिसमें इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी (ईएफएलयू) और मौलाना आजाद उर्दू यूनिवर्सिटी (एमएएनयूयू)। ये दोनों ही यूनिवर्सिटी हैदराबाद में है। हालांकि संस्कृत के लिए ऐसी कोई यूनिवर्सिटी नहीं है।
अब कानून मंत्रालय की मंजूरी जरूरी
ज्ञात हो कि वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और कानून मंत्रालय से इन तीनों संस्कृत की डीम्ड टू-बी यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने पर राय मांगी गई थी। वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अपनी मंजूरी दे दी है। जबकि कानून मंत्रालय से मंजूरी का इंतजार है। कानून मंत्रालय से मंजूरी मिलते ही तीनों संस्कृत सेंट्रल यूनिवर्सिटी का मसौदा कैबिनेट में पास होने के लिए भेजा जाएगा। इसके आधार पर आगे शीतकालीन सत्र में देश की पहली तीन संस्कृत सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने का बिल पारित करवाया जाएगा। उम्मीद है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में तीनों डीम्ड टू-बी यूनिवर्सिटी से सेंट्रल यूनिवर्सिटी के स्टे्टस में बदल जाएगी।
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