जानिए, प्रशांत किशोर ने नागरिकता कानून और एनआरसी पर क्या कहा? क्यों राज्य सरकरों की मर्जी के बगैर देश भर में लागू नहीं हो सकते ये कानून?

देश के जानेमाने राजनीतिक रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NCR) और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) तब तक लागू नहीं किया जा सकता, जब तक राज्य सरकारें सहयोग न करें। प्रशांत किशोर ने कहा कि एनआरसी या नागरिकता संशोधन कानून बिना राज्य सरकार की मशीनरी के लागू हो ही नहीं सकती।

जानिए, प्रशांत किशोर ने नागरिकता कानून और एनआरसी पर क्या कहा? क्यों राज्य सरकरों की मर्जी के बगैर देश भर में लागू नहीं हो सकते ये कानून?
Pic of Political Strategist and JDU Vice President Prashant Kishore
जानिए, प्रशांत किशोर ने नागरिकता कानून और एनआरसी पर क्या कहा? क्यों राज्य सरकरों की मर्जी के बगैर देश भर में लागू नहीं हो सकते ये कानून?
जानिए, प्रशांत किशोर ने नागरिकता कानून और एनआरसी पर क्या कहा? क्यों राज्य सरकरों की मर्जी के बगैर देश भर में लागू नहीं हो सकते ये कानून?

केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस को लेकर देश भर में विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं। शांतिपूर्ण से लेकर उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग सड़कों पर उतर कर इस कानून का विरोध कर रहे हैं। देश के कई राज्यों में उग्र प्रदर्शन के बीच आगजनी की घटनाएं भी हुई हैं। पर सवाल यह खड़ा होता है कि क्या देश में इस कानून को लागू करना कितना आसान और कितना कठिन है?

देश के जानेमाने राजनीतिक रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NCR) और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) तब तक लागू नहीं किया जा सकता, जब तक राज्य सरकारें सहयोग न करें। प्रशांत किशोर ने कहा कि एनआरसी या नागरिकता संशोधन कानून बिना राज्य सरकार की मशीनरी के लागू हो ही नहीं सकती।

प्रशांत किशोर ने कहा कि आप राज्य सरकार की मशीनरी के बिना NRC या CAA को लागू नहीं कर सकते हैं। हमने असम में हुए एनआरसी को देखा, जहां पूरा राज्य तीन साल तक दिन-रात काम करता रहा। अगर राज्य सरकार कहती है कि हम एनआरसी को लागू करने की इजाजत नहीं देंगे तो फिर केंद्र सरकार के कहने का क्या मतलब।

प्रशांत किशोर ने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार कानूनी कार्रवाई कर सकती है। इसका मतलब यह है कि केंद्र राज्यों को अदालत में ले जाएगा? कुछ कह रहे हैं कि वे राज्य सरकार को बरखास्त करने के लिए धारा 356 का उपयोग करेंगे।

एक मिनट के लिए मान लें कि केंद्र सरकार इतनी दृढ़ है, मगर छह महीने बाद फिर क्या होगा जब फिर से चुनाव होंगे? अगर एक ही सरकार चुनी जाती है, तो क्या हम बार-बार सरकारों को खारिज करते चले जाएंगे? इसलिए, व्यावहारिक रूप से यह तब तक संभव नहीं है, जब तक कि राज्य सरकार अपनी सहमति न दे।

एक सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरे नेता नीतीश कुमार ने स्पष्ट तौर पर पहले भी कहा है और बाद में भी आश्वस्त किया है कि बिहार में एनआरसी की जरूरत नहीं है।