महात्मा गांधी ने भी कहा था कि शराब पीना बुरा है, शराब पीने वाले हिन्दुस्तानी नहीं, महापापी : नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि जो लोग शराब पीते हैं वे महापापी हैं और हिन्दुस्तानी नहीं हैं। विधानसभा से बिहार शराबबंदी कानून में बदलाव को मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हवाला देकर यह बात कही। बिहार विधान परिषद में मुख्यमंत्री ने कहा, ''कोई शराब पीने जाता है और जहरीली शराब पीकर मर जाता है, शराब बुरा है। शराबबंदी का अनुपालन होना चाहिए।''

महात्मा गांधी ने भी कहा था कि शराब पीना बुरा है, शराब पीने वाले हिन्दुस्तानी नहीं, महापापी : नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि जो लोग शराब पीते हैं वे महापापी हैं और हिन्दुस्तानी नहीं हैं। विधानसभा से बिहार शराबबंदी कानून में बदलाव को मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हवाला देकर यह बात कही। बिहार विधान परिषद में मुख्यमंत्री ने कहा, ''कोई शराब पीने जाता है और जहरीली शराब पीकर मर जाता है, शराब बुरा है। शराबबंदी का अनुपालन होना चाहिए।''

सीएम ने आगे कहा कि महात्मा गांधी ने भी कहा था कि शराब पीना बुरा है। उन्होंने कहा, ''बापू की भावना को भी कोई नहीं मानता है तो हम मानते नहीं कि वह हिन्दुस्तानी है, वह भारतीय तो है ही नहीं, वह काबिल तो है ही नहीं, वह महाअयोग्य है, महापापी है, जो राष्ट्रपिता की बात को नहीं मानता तो क्या मतलब।'' 

बिहार को शराब मुक्त करने के लिए संघर्ष कर रहे नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी का अनुपालन होना चाहिए। शराब पीना बुरा है। बापू (महात्मा गांधी) ने भी यह कहा और जो बापू की नहीं सुनता वह महापापी है। कानून बनाए जाते हैं लेकिन कोई उनका पालन नहीं करता है। इससे पहले बुधवार को विधानसभा ने बिहार मद्य निषेध व उत्पाद (संशोधन) अधिनियम-2022 को मंजूरी दी। इसके तहत यदि पहली बार कोई शराब पीकर पकड़ा जाता है तो जुर्माना वसूल करके मुक्त किया जा सकता है। 

बार-बार शराब पीकर पकड़े जाने पर पर जेल भेजा जाएगा। सरकार ने यह बदलाव ऐसे समय पर किया है जब अदालतों में शराबबंदी से जुड़े केसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। संशोधन के बाद यदि कोई व्यक्ति शराब के नशे में पकड़ा जाता है तो उसे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा वह अपराध की गंभीरता का फैसला लेंगे। परिस्थितियों का आकलन करने के बाद वह जुर्माना लेकर मुक्त कर सकते हैं। जुर्माना नहीं देने पर जेल भेजा जाएगा। 2016 में बने कानून में यह तीसरा संशोधन है।