ना जींस, ना टी-शर्ट और ना स्पोर्ट्स शूज...अब केवल फॉर्मल कपड़े पहनेंगे CBI के अफसर-स्टाफ, आदेश जारी

ना जींस, ना टी-शर्ट और ना स्पोर्ट्स शूज...अब केवल फॉर्मल कपड़े पहनेंगे CBI के अफसर-स्टाफ, आदेश जारी

अब सीबीआई के अधिकारी अथवा स्टाफ जींस, टी-शर्ट और स्पोर्ट्स शूज में नहीं दिखेंगे। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के नए डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल ने पद संभालते ही ड्यूटी के दौरान अधिकारियों अथवा स्टाफ के लिए ड्रेस कोड निर्धारित कर दिया है। सीबीआई के नए चीफ ने आदेश दिया है कि एजेंसी के प्रत्येक अधिकारी / कर्मचारी कार्यालय में उचित फॉर्मल पोशाक पहनेंगे। उन्होंने कहा कि दफ्तर में जींस, टी-शर्ट्स और स्पोर्ट्स जूते नहीं चलेंगे। 

पुरुष अधिकारियों के लिए आदेश दिया गया है कि वे फॉर्मल शर्ट-पैंट और फॉर्मल जूते ही पहनेंगे। इतना ही नहीं, उन्हें प्रोपर शेविंग (दाढ़ी बनवाकर) के साथ ही ऑफिस भी आना होगा। वहीं, ड्यूटी के दौरान महिला अफसरों या स्टाफ को सिर्फ साड़ी, सूट और फॉर्मल शर्ट पहनने को कहा गया है। सीबीआई डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल की मंजूरी के साथ उप निदेशक (प्रशासन) अनूप टी मैथ्यू द्वारा जारी एक आदेश में यह कहा गया है। 

आदेश में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि ऑफिस में जींस, टी-शर्ट, स्पोर्ट्स शूज, चप्पल पहनकर आने की अनुमति नहीं है। आदेश में देश भर में सीबीआई की सभी शाखाओं के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए।

नाम न छापने की शर्त पर सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि यह एक संतुलित आदेश है, क्योंकि एक पेशेवर जांच एजेंसी के रूप में प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारी को फॉर्मल कपड़े पहनने की जरूरत होती है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में लोगों ने कैजुअल जैसे जींस और टी-शर्ट पहनना शुरू कर दिया और किसी ने इसे रोका नहीं, विशेष रूप से मंत्रालय के कर्मचारियों ने। सीबीआई अधिकारियों को कम से कम एक फॉर्मल कॉलर वाली शर्ट, ट्राउजर और जूते पहनने की जरूरत है।

बता दें कि सुबोध जायसवाल ने पिछले बुधवार को सीबीआई के 33वें निदेशक के रूप में पदभार संभाला था। उनके नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एक उच्चस्तरीय पैनल ने मुहर लगाई थी। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल द्वारा आने वाले दिनों में प्रमुख जांच एजेंसी के भीतर कुछ महत्वपूर्ण प्रशासनिक परिवर्तन करने की संभावना है ताकि इसकी दक्षता में सुधार हो और जनता में इसकी छवि को और बेहतर किया जा सके।