राम जन्मभूमि आतंकी हमला मामले में सजा का ऐलान, चार दोषियों को आजीवन कारावास, एक ओरोपी बरी

अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में 2005 में हुए आतंकी हमले में प्रयागराज की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया है। अदालत ने चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया है।

राम जन्मभूमि आतंकी हमला मामले में सजा का ऐलान, चार दोषियों को आजीवन कारावास, एक ओरोपी बरी
Pic of Court Bell
राम जन्मभूमि आतंकी हमला मामले में सजा का ऐलान, चार दोषियों को आजीवन कारावास, एक ओरोपी बरी
राम जन्मभूमि आतंकी हमला मामले में सजा का ऐलान, चार दोषियों को आजीवन कारावास, एक ओरोपी बरी

अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में 2005 में हुए आतंकी हमले में प्रयागराज की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया है। अदालत ने चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया है। अयोध्या आतंकी विस्फोट मामले में विशेष कोर्ट ने जहां मोहम्मद अजीज को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त किया। वहीं इरफान, मोहम्मद शकील , मोहम्मद नफीस , आसिफ , इकबाल उर्फ फारुख को आजीवन कारावास के साथ ढाई लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। 14 वर्ष पूर्व हुए आतंकी हमले के इन आरोपियों पर हमले की साजिश रचने का आरोप था। पिछले काफी समय से ये नैनी जेल में ही बंद थे।

पांच जुलाई 2005 की सुबह करीब सवा नौ बजे आतंकियों ने रामजन्म भूमि परिसर में धमाका किया था। करीब डेढ़ घंटे तक चली मुठभेड़ में पांच आतंकवादी मार गिराए गए थे जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी थी। इस हमले में रमेश कुमार पांडेय व शांति देवी को जान गंवानी पड़ी थी जबकि घायल कृष्ण स्वरूप ने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

इसके अलावा दारोगा नंदकिशोर, हेड कांस्टेबल सुल्तान सिंह, धर्मवीर सिंह पीएसी सिपाही, हिमांशु यादव, प्रेम चंद्र गर्ग व सहायक कमांडेंट संतो देवी जख्मी हो गये थे। पुलिस की तफ्तीश में असलहों की सप्लाई करने और आतंकियों के मददगार के रूप में आसिफ इकबाल, मो. नसीम, मो. अजीज, शकील अहमद और डॉ. इरफान का नाम सामने आया। इन सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।2006 में प्रयागराज की विशेष कोर्ट के आदेश पर उन्हें फैजाबाद से प्रयागराज की सेंट्रल जेल नैनी जेल भेज दिया गया।

अयोध्यावासी चाहते थे सजा-ए-मौत की सजा

अध्यावासी रामलला के गुनहगारों को सजा-ए-मौत से कम नहीं चाहते थे। साधु-संत से लेकर श्रद्धालु तक कहते हैं कि सजा ऐसी हो कि कोई हमारे आराध्य पर हमले का दुस्साहस न कर सके। इन सभी को इसका संतोष है कि पांच जुलाई 2005 को श्रीराम जन्मभूमि परिसर में टेंट में विराजमान रामलला पर फिदायीन हमला करने आए पांच आतंकियों को उसी दिन रामनगरी में सजा-ए-मौत मिल गई थी। आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड, एके 47, राकेट लांचर से लैस होकर हमला बोला था। हमलावरों ने सबसे पहले वह जीप ब्लास्ट कर उड़ा दी जिससे वह आए थे।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

स्पेशल कोर्ट के इस फैसले को देखते हुए अयोध्या से लेकर प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। जज दिनेश चंद्र की कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस 11 जून को पूरी हो चुकी थी। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इस हमले में एक टूरिस्ट गाइड समेत सात लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस की जवाबी हमले में पांच आतंकवादी मार गिराए गए थे। आतंकियों से मोर्चा लेने के दौरान सीआरपीएफ और पीएसी के सात जवान गंभीर रूप से जख्मी भी हुए थे।  

हमले की रची था साजिश

मारे गए आतंकियों के पास से बरामद मोबाइल सिम की जांच से पांच अभियुक्तों आसिफ इकबाल उर्फ फारुक, मोहम्मद शकील, मोहम्मद अजीज और मोहम्मद नसीम का नाम प्रकाश में आया था। जिन्हें 28 जुलाई 2005 को और डॉक्टर इरफान को इसके पूर्व ही 22 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि इन सभी ने मिलकर हमले की साजिश रची और हथियार जुटाए थे।

अयोध्या के लिए काली तारीख

पांच जुलाई वर्ष 2005 अयोध्या की काली तारीख है। इसी दिन असलहे से लैस आतंकियों ने अधिगृहीत परिसर पर हमला किया था। आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच काफी देर मुठभेड़ हुई। अदम्य साहस का परिचय देते हुए सुरक्षा बलों ने पांच आंतकवादी ढेर कर दिए थे। इस आतंकी हमले में दो निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस हमले की जांच में आतंकियों को असलहों की सप्लाई और मददगारों में आसिफ इकबाल, मो. नसीम, मो. अजीज, शकील अहमद और डॉ. इरफान का नाम सामने आया। सभी को गिरफ्तार कर पहले अयोध्या जेल में रखा गया। एसपी सिटी अनिल सिंह व सीओ अयोध्या अमर सिंह को निगरानी की कमान सौंपी गई है।

रामलला को उड़ाने आए फिदायीन आतंकी खुद उड़ गए थे 

पांच जुलाई 2005 रामनगरी के इतिहास का काला दिन थी। धमाकों और गोलियों की आवाज से रामनगरी हिल उठी थी। जिस समय अयोध्या में टेंट में विराजमान रामलला पर आतंकियों ने हमला किया, मंदिरों में रामनाम और घंटा-घडिय़ाल की ध्वनि गूंज रही थी, लोग पूजा-पाठ में व्यस्त थे। आतंकी हमले के प्रत्यक्षदर्शी आज भी घटना को याद करके सिहर उठते हैं। वह खौफनाक मंजर आज भी उनके जहन में जिंदा है।