अस्पतालों में नहीं मिल रही रेमडेसिविर, बाजार में 15 से 30 हजार रुपये में बेची जा रही
बिहार में कोरोना संक्रमितों के इलाज में काम आने वाली महत्वपूर्ण दवा रेमडेसिविर की कालाबाजारी की शिकायतें मिल रही हैं। राज्य की सबसे बड़ी गोबिंद मित्रा रोड स्थित दवा मंडी के सूत्रों के अनुसार संक्रमित मरीज का नकली पुर्जा या फोटो स्टेट पुर्जा तैयार कर दवा मंडी के दलाल और कालाबाजारी में संलिप्त असामाजिक तत्व रेमडेसिविर को ऊंचे दामों में बेच रहे हैं।
ड्रग प्रशासन या स्थानीय प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। कई जगह से लोग यह भी शिकायत कर रहे हैं कि ड्रग डिस्ट्रीब्यूटर से अस्पतालों तक पहुंचने के बाद दवा के ऊंचे दाम पर बेचने का खेल शुरू हो जा रहा है। राज्य में मांग के अनुसार रेमडेसिविर दवा की आपूर्ति नहीं होने के कारण इसकी कालाबाजारी हो रही है। इससे सभी जरूरतमंदों को यह नहीं मिल पा रही है।
15 से 30 हजार रुपये में बेची जा रही रेमडेसिविर
राज्य में रेमडेसिविर दवा की कालाबाजार में मुंहमांगी कीमत वसूली जा रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने अलग अलग कंपनियों की रेमडेसिविर दवा की कीमत निर्धारित कर दी है। इसके बावजूद 15 से 30 हजार रुपये में इसकी कालाबाजारी की जा रही है।
रेमडेसिविर का निर्धारित मूल्य व दवा निर्माता कंपनी
कंपनी कीमत
कैडिला 899
सन्जेन इंटरनेशनल 2450
डॉ रेड्डी लेबोरेटरी 2700
सिप्ला 3000
मयलन फार्मा 3400
जुबिलेंट लिमिटेड 3400
हेट्रो हेल्थकेयर लिमिटेड 3490
यदि किसी को इस दवा के अवैध कारोबार की जानकारी मिलती है तो लिखित में शिकायत कर सकते हैं। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी।
-मनोज कुमार, कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति
रेमडेसिविर की कालाबाजारी की शिकायतें मिल रही हैं। संगठन के बिहार के सभी सदस्यों से कहा गया है कि दवा व्यापार को बदनाम करने वाले असामाजिक तत्वों पर निगरानी रखें और इसकी सूचना ड्रग प्रशासन और संगठन को दें। ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके।
-पीके सिंह, अध्यक्ष, बिहार ड्रग एंड केमिस्ट एसोसिएशन
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