DU में 3 जनवरी को मनाई जाएगी सावित्रीबाई फुले की 189वीं जयंती,बहुजन कल्चरल फ्रंट ने प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का लिया है निर्णय

देश की प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय में 3 जनवरी को राष्ट्र माता,ज्ञानज्योति और भारत की महिला शिक्षिका सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की 189वीं जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। बहुजन कल्चरल फ्रंट की ओर से विश्वविद्यालय के एसओएल सोमिनार हॉल में दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में देश भर के बुद्धिजिवियों, प्राध्यापकों और आम नागरिकों को आमंत्रित किया गया है।

DU में 3 जनवरी को मनाई जाएगी सावित्रीबाई फुले की 189वीं जयंती,बहुजन कल्चरल फ्रंट ने प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का लिया है निर्णय
Pic of Savitribai Jyotirao Fule
DU में 3 जनवरी को मनाई जाएगी सावित्रीबाई फुले की 189वीं जयंती,बहुजन कल्चरल फ्रंट ने प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का लिया है निर्णय
DU में 3 जनवरी को मनाई जाएगी सावित्रीबाई फुले की 189वीं जयंती,बहुजन कल्चरल फ्रंट ने प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का लिया है निर्णय

देश की प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय में 3 जनवरी को राष्ट्र माता,ज्ञानज्योति और भारत की महिला शिक्षिका सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की 189वीं जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। बहुजन कल्चरल फ्रंट की ओर से विश्वविद्यालय के एसओएल सोमिनार हॉल में दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में देश भर के बुद्धिजिवियों, प्राध्यापकों और आम नागरिकों को आमंत्रित किया गया है।

जयंती कार्यक्रम के दौरान तमाम अतिथि गण और वक्ता सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले के जीवन पर प्रकाश डालेंगे और देश भर के लोगों से उनके बताए रास्ते पर चलने का आह्वान करेंगे। सावित्रीबाई की ओर से शिक्षा, स्वास्थ्य और राष्ट्र के सर्वांगिन विकास के लिए कि गए कार्यों को भी याद किया जाएगा। बहुजन कल्चरल फ्रंट की ओर से सावित्रीबाई फुले क़ी जयंती प्रति वर्ष तीन जनवरी को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।

दरअसल, सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका और मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है।

सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले ने पुणे में अपने पति के साथ मिलकर 1848 में विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पांच नए विद्यालय खोलने में सफल हुए। इस कार्य के लिए तत्कालीन सरकार ने इन्हें सम्मानित भी किया। क्योंकि लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। ऐसे में सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे शहर में।

प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया और इसी कारण उनकी मृत्यु भी हो गई थी। आपको बताते चलें कि 3 जनवरी 2017 को सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले 186वें जन्मदिवस पर गूगल ने उनका गूगल डूडल प्रसिद्ध कर उन्हें अभिवादन भी किया था।