संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर होने वाली NDA की बैठक में शामिल नहीं होगी शिवसेना, संजय राउत ने दी जानकारी, 17 नवंबर को है बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ उनके आवास पर बैठक के बाद संजय राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना का कोई भी प्रतिनिधि एनडीए की बैठक में भाग नहीं लेगा। इसे लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है।’’ शिवसेना के एक अन्य सांसद ने कहा कि जब एनडीए सदस्य बैठक कर रहे होंगे, उस समय पार्टी रविवार को बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि देगी। सांसद ने पूछा, ‘‘फिर कैसे हम उस बैठक में शामिल हो पाएंगे?  

संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर होने वाली NDA की बैठक में शामिल नहीं होगी शिवसेना, संजय राउत ने दी जानकारी, 17 नवंबर को है बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि
Pic of Sanjay Raut With Uddhav Thackrey
संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर होने वाली NDA की बैठक में शामिल नहीं होगी शिवसेना, संजय राउत ने दी जानकारी, 17 नवंबर को है बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि
संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर होने वाली NDA की बैठक में शामिल नहीं होगी शिवसेना, संजय राउत ने दी जानकारी, 17 नवंबर को है बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि

भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच की कड़वाहट कम होने का नाम नहीं ले रही है। दोनों दलों के बीच जारी तल्खी के बीच शिवसेना ने साफ कर दिया है कि संसद के 18 नवंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर होने वाली एनडीए घटक दलों की बैठक में शिवसेना के भाग नहीं लेगी। पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। एनडीए की बैठक रविवार को दिल्ली में होने वाली है और रविवार यानी 17 नवम्बर को शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि भी है।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ उनके आवास पर बैठक के बाद संजय राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना का कोई भी प्रतिनिधि एनडीए की बैठक में भाग नहीं लेगा। इसे लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है।’’ शिवसेना के एक अन्य सांसद ने कहा कि जब एनडीए सदस्य बैठक कर रहे होंगे, उस समय पार्टी रविवार को बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि देगी। सांसद ने पूछा, ‘‘फिर कैसे हम उस बैठक में शामिल हो पाएंगे?  शिवसेना का फिलहाल केंद्र सरकार में कोई प्रतिनिधि भी नहीं है। पार्टी के एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने 11 नवंबर को इस्तीफा दे दिया था।

आपको बताते चलें कि महाराष्ट्र में शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए बीजेपी का समर्थन करने से इनकार कर दिया था,जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

शिवसेना ने 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में 56 सीटें जीती थी। बीजेपी ने 288 सदस्यीय सदन में सबसे अधिक 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी। शिवसेना की मांग थी कि मुख्यमंत्री पद और अन्य विभागों का एक समान आवंटन हो और इसके लिए बीजेपी तैयार नहीं थी। हालांकि बीजेपी और शिवसेना दोनों ने गठबंधन तोड़ने की आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं की है।