केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त मोर्चा की बैठक,22 मई को फुसरो में ढोरी महाप्रबंधक के समक्ष करेंगे प्रदर्शन,कोल सेक्टर में निजी कंपनियों की एंट्री की घोषणा से हैं नाराज
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज को लेकर मजदूर संगठनों में नाराजगी है। मजदूर संगठन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई घोषणाओं की आलोचना कर हे हैं। कई मजदूर संगठन धरना प्रदर्शन की तैयारी में हैं। झारखंड में भी तमाम मजदूर संगठन सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने की तैयारी कर रहे हैं। इसी को लेकर बेरमो अनुमण्डल के फुसरो स्थित एसडीओ सीएम परियोजना में संयुक्त मोर्चा की ओर से एक बैठक का आयोजन किया गया।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज को लेकर मजदूर संगठनों में नाराजगी है। मजदूर संगठन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई घोषणाओं की आलोचना कर हे हैं। कई मजदूर संगठन धरना प्रदर्शन की तैयारी में हैं। झारखंड में भी तमाम मजदूर संगठन सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने की तैयारी कर रहे हैं। इसी को लेकर बेरमो अनुमण्डल के फुसरो स्थित एसडीओ सीएम परियोजना में संयुक्त मोर्चा की ओर से एक बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक में एरिया के सभी मजदूर संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए और सभी ने 22 मई 2020 को संयुक्त मोर्चा द्वारा ढोरी महाप्रबंधक कार्यालय पर किए जाने वाले प्रदर्शन की रणनीति पर चर्चा की। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आगामी प्रदर्शन के बारे में जानकारी दी गई और कोयला मजदूरों से यह आह्वान किया गया कि वर्तमान सरकार मजदूर विरोधी फैसले ले रही है। इसलिए अब मजदूरों को लड़ना होगा। मजदूरों से यह अपील की गई कि कि 22 मई 2020 को ढोरी महाप्रबंधक कार्यालय में प्रदर्शन में जरूर से जरूर भाग लें।
कोयला मजदूर संगठनों का कहना है कि सरकार एक तरह से निजीकरण को बढ़ावा दे रही है,जिससे नौकरियों को नुकसान पहुंचेगा। संगठन का कहना है कि कोरोना महामारी के समय में सार्वजनिक क्षेत्र बहुत अहम किरदार निभा रहा है। जब बाजार और निजी संस्थाएं लॉकडाउन के चलते बंद हैं,तो सार्वजनिक क्षेत्र का महत्व और भी बढ़ जाता है। मजदूर संगठन के नेताओं ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को की गई घोषणाओं से निराशा हुई है।
मजदूर नेता गिरिजा शंकर पाण्डेय का कहना है कि सरकार ट्रेड यूनियन, सामाजिक प्रतिनिधित्व करने वालों से बातचीत करने और सुझाव लेने में हिचक रही है,जो यह दिखाता है कि सरकार को खुद की सोच पर इतना भरोसा नहीं है। जो कि निंदनीय है। ज्यादातर क्षेत्रों में मजदूर संगठन पहले से ही कॉरपोरेटिकरण और निजीकरण को लेकर आक्रोश में है।
मजदूर संगठन के नेता जवाहर लाल यादन ने कहा कि किसी भी बदलाव का सबसे पहला असर कर्मचारियों पर ही पड़ता है। कर्मचारियों के लिए निजीकरण मतलब नौकरी चला जाना है। इससे सिर्फ मुनाफा कमाने पर जोर दिया जाएगा, कर्मचारियों का ही शोषण होगा और गुणवत्ता पूर्ण कार्य भी नहीं होगा। बिना समाज से सुझाव लिए सरकार द्वारा इस तरह बदलाव करना सही नहीं है। डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में एफडीआई को बढ़ावा देना, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का कॉरपोरेटकरण करना आपत्तिजनक है।
फुसरो नगर परिषद उपाध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता छेदी नोनिया ने कहा कि वित्त निर्मला सीतारमण ने नीतिगत बदलाव की बड़ी घोषणाएं की हैं, जिसमें 8 महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल है। इन क्षेत्रों में कोयला, खनिज, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग, एयर स्पेस मैनेजमेंट, एयरपोर्ट, ऊर्जा वितरण और एटॉमिक एनर्जी शामिल हैं। जो किसी भी तरह से मजदूरों के हक में नहीं है। केंद्र सरकार की इस नीति से देश के करोड़ों कामगारों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनकी नौकरी तक जा सकती है।
बैठक में आरसीएमएस के गिरजा शंकर पांडे, शिवनंदन चौहान, मुरारी सिंह, छेदी नोनिया, जनता मजदूर संघ के ओम शंकर सिंह, विकास सिंह, संत भर और संजय कुमार तथा यूसीडब्ल्यूयू के जवाहर लाल यादव, भीम महतो, जितेंद्र दुबे के अलावा झारखंड कोलावरी कामगार यूनियन के क्यूम अंसारी, झारखंड कोलियरी श्रमिक यूनियन से सूरज महतो समेत कई अन्य कामगार साथी शामिल हुए। सभी ने मजदूरों से 22 मई को होने वाले प्रदर्शन को सफल बनाने का आह्वान किया है।
आपको बताते चलें कि केंद्र सरकारकी ओर से कहा गया है कि कोयला सेक्टर में आत्मनिर्भरता के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा। 50 कोयला ब्लॉक का तत्काल आवंटन होगा। कोयल क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन होगा यानि निजी कंपनियों को भी मौका मिलेगा। सही कीमत पर अधिक कोयला मिलेगा।
कोयला क्षेत्र में सरकार का एकाधिकार खत्म होगा। अब राजस्व साझा किया जाएगा। कोशिश होगी कि उतना ही कोयला आयात किया जाए जितने की जरूरत है। हम अपनी भंडारण क्षमता का उपयोग नहीं कर पाए। निवेश के जरिेए इसमें सुधार किया जाएगा। पर सरकार की ये घोषणा मजदूर संगठनों को रास नहीं आ रहा है। लिहाजा, उन्होंने धरना-प्रदर्शन कर विरोध जताने का निर्णय लिया है।
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