सावधान! हड़ताल पर हैं धरती के 'भगवान'
नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के विरोध में शनिवार को लगातार चौथे दिन भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी रही। दिल्ली समेत देश के कई बड़े और छोटे अस्पतालों में कामकाज ठप रहा। चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल रहा। मरीज और उनके परिजन इलाज के लिए दर-दर भटकते रहे और डॉक्टर हड़ताल पर बैठे रहे। सड़कों पर धरना और प्रदर्शन करते रहे।
डॉक्टरों को भगवान का दर्जा प्राप्त है। भगवान मतलब जीवन देने वाला, प्राणों की रक्षा करने वाला होता है। कहते तो ये भी हैं कि धरती पर एक डॉक्टर भगवान के रूप में होता है। वह दीन दुखियों की देखभाल करता है। सभी को समान रूप से देखता है। हर स्थिति और परिस्थिति में लोगों को जीवनदान देता है। पर इन दिनों धरती के भगवान नाराज चल रहे हैं। पिछले चार दिनों से भगवान रुपी डॉक्टर हड़ताल पर हैं, जिसकी वजह से आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। यहां तक की जान भी गंवानी पड़ रही है।
दरअसल, नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के विरोध में शनिवार को लगातार चौथे दिन भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी रही। दिल्ली समेत देश के कई बड़े और छेटे अस्पतालों में कामकाज ठप रहा। चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल रहा। मरीज और उनके परिजन इलाज के लिए दर-दर भटकते रहे और डॉक्टर हड़ताल पर बैठे रहे। सड़कों पर धरना और प्रदर्शन करते रहे। नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के विरोध में नारेबाजी करते रहे। मानों उन्हें बीमार मरीजों की जरा भी परवाह नहीं।
बहरहाल, इसे पहले शुक्रवार देर रात तक चली रेजिडेंट डॉक्टरों की बैठक के बाद ये फैसला लिया गया कि इमरजेंसी सेवाओं को छोड़ कर ओपीडी सेवाओं में हड़ताल जारी रहेगी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और सफदरजंग सहित दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल के चलते मरीजों को बहुत परेशानी हो रही है। रेजिडेंट डॉक्टर संघ ने कहा कि एनएमसी बिल के खिलाफ डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल अभी भी जारी है। एम्स में इमरजेंसी सेवाएं तत्काल प्रभाव से शुरू हो गई हैं।
डॉक्टरों की ओर से कहा गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन का एनएमसी बिल पर हमें समझाने की कोशिश अच्छी है। बावजूद इसके राज्यसभा की ओर से पेश किए गए इस बिल में स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ कई प्रावधान हैं, जिसपर विचार किया जाना चाहिए। विरोध के बावजूद सरकार गुरुवार को राज्यसभा में यह बिल पास कराने में कामयाब हो गई, जबकि 29 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हो गया था। बिल पास होने के बाद अगले 3 सालों में नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन किया जाएगा।
आपको बताते चलें कि इससे पहले एमसीआई के पास एडमिशन, मेडिकल शिक्षा, डॉक्टरों की रजिस्ट्रेशन से जुड़े काम होते थे। लेकिन अब इस बिल के कानून बनने के बाद यह सारा काम एनएमसी के पास चला जाएगा। इस तरह से एमसीआई की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन ले लेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को 17 जुलाई के दिन मंजूरी दे दी थी।
विधेयक का मुख्य उद्देश्य मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर एक चिकित्सा आयोग स्थापित करना है। इससे भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 निरस्त हो जाएगा और चिकित्सा आयोग निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों के लिए सभी शुल्कों का नियमन करेगा। जिससे प्रवेश शुल्क में कमी की उम्मीद जताई जा रही है।
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