शीर्ष अदालत से केंद्र सरकार को मिली राहत,CAA पर रोक लगाने से किया इनकार, 4 सप्ताह में मांगा जवाब,संविधान पीठ के पास जाएगा मामला
देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है। अदालत ने संशोधित नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सीएए की संवैधानिक वैधता परखने की मांग करने वाली याचिकाओं को अदालत ने संविधान पीठ के पास भेजने का फैसला किया है। अदालत द्वारा केंद्र सरकार से असम और त्रिपुरा पर अलग-अलग सूची की मांग भी की गई है।
देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है। अदालत ने संशोधित नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सीएए की संवैधानिक वैधता परखने की मांग करने वाली याचिकाओं को अदालत ने संविधान पीठ के पास भेजने का फैसला किया है। अदालत द्वारा केंद्र सरकार से असम और त्रिपुरा पर अलग-अलग सूची की मांग भी की गई है।
सीएए को लेकर दायर 144 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे,जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि केंद्र का पक्ष सुने बगैर कानून पर रोक नहीं लगाएंगे। अदालत ने कहा कि सीएए के विरोध वाली याचिकाओं पर 4 हफ्ते बाद ही कोई अंतरिम आदेश जारी किया जाएगा। अब 5 जजों की संविधान पीठ सीएए की संवैधानिकता पर सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस कानून पर हम एकपक्षीय रोक नहीं लगा रहे हैं। सभी याचिकाओं को देख कर फैसला किया है कि कानून पर फिलहाल रोक नहीं लगाई जाए।
इससे पहले सरकार की ओर से अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सीएए को लेकर 144 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। अब नई याचिकाएं स्वीकार न की जाएं। अगर नई अर्जी आती रहीं तो हमें जवाब दाखिल करने के लिए ज्यादा वक्त चाहिए। अटॉर्नी जनरल ने इसके लिए 6 हफ्ते का समय देने की मांग की। इस पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते में सभी याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। वेणुगोपाल की उस मांग पर भी बेंच ने सहमति जताई जिसमें उन्होंने रहा कि सभी हाईकोर्ट से कहा जाए कि वे सीएए से जुड़े मामलों पर सुनवाई न करें।
अटॉर्नी जनरल ने सुनवाई शुरू होने से पहले कोर्ट में जमा हुई भीड़ पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘माहौल को शांत होना चाहिए विशेषकर सर्वोच्च अदालत में। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से कहा कि अदालत को कुछ निर्देश जारी करने होंगे कि कौन कोर्ट में आ सकता है कौन नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और पाकिस्ता न में सुप्रीम कोर्ट में आने वाले विजिटर्स के लिए नियम हैं।’वहीं, अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कानून को दो माह तक लागू न करने और सुनवाई की अगली तारीख फरवरी में सुनिश्चिित करने की मांग की।
आपको बताते चलें कि मामले की सुनवाई कर रही तीनों जजों की बेंच ने केंद्र सरकार को विभिन्न याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। मामले में करीब 144 याचिकाओं की सुनवाई होनी है। इनमें से 141 याचिकाएं कानून के विरोध में हैं। मुस्लिम लीग की याचिका में कहा गया है कि सीएए समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। इस कानून से अवैध प्रवासियों के एक वर्ग को नागरिकता उपलब्धर कराई जाती है, वहीं धर्म के नाम पर कुछ को नागरिकता से वंचित किया गया है।
याचिका में कानून पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह कानून भारतीय संविधान के खिलाफ है। इस कानून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया। इससे पहले 9 जनवरी को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने इस कानून को लेकर देशभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर चिंता जताई थी और कहा था कि हिंसा रुकने पर ही वे सुनवाई करेंगे।
सर्वोच्च अदालत ने 18 दिसंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर परीक्षण करने का निर्णय लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया था। हालांकि अदालत ने उस दिन अधिनियम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
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