Corona Effect : कोलकर्मी क्यों नहीं कोरोना वारियर्स? अनहोनी की स्थिति में क्यों न मिले 50 लाख मुआवजा? श्रमिक संगठनों ने उठाई आवाज

देशभर के कोलकर्मी प्रतिदिन लाखों टन कोयले का उत्पादन कर रहे हैं,ताकि देश के तमाम उद्योगों, पॉवर पलांट्स और अन्य इकाइयों को निर्बाध गति से चलाया जा सके। देशवासियों के लिए चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। लेकिन जान जोखिम में डालकर देश की सेवा में तत्पर इन लाखों कोलकर्मियों को कोरोना वारियर्स की श्रेणी में नहीं रखा गया है। 

Corona Effect : कोलकर्मी क्यों नहीं कोरोना वारियर्स? अनहोनी की स्थिति में क्यों न मिले 50 लाख मुआवजा? श्रमिक संगठनों ने उठाई आवाज
GFX of Coal India Ltd. and Coal
Corona Effect : कोलकर्मी क्यों नहीं कोरोना वारियर्स? अनहोनी की स्थिति में क्यों न मिले 50 लाख मुआवजा? श्रमिक संगठनों ने उठाई आवाज
Corona Effect : कोलकर्मी क्यों नहीं कोरोना वारियर्स? अनहोनी की स्थिति में क्यों न मिले 50 लाख मुआवजा? श्रमिक संगठनों ने उठाई आवाज
Corona Effect : कोलकर्मी क्यों नहीं कोरोना वारियर्स? अनहोनी की स्थिति में क्यों न मिले 50 लाख मुआवजा? श्रमिक संगठनों ने उठाई आवाज

देश इस वक्त कोरोना वायरस का सामना कर रहा है। कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से सकारात्म कदम उठाए गए हैं। कोरोना नाम की इस मुसीबत से लड़ने वाले कोरोना वारियर्स के लिए भी मुआवजे की घोषणा की गई है। सरकार की इस योजना के तहत कोरोनावायरस अभियान के दौरान किसी भी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

केंद्र सरकार मेडिकल स्टाफ सहित कोरोना योद्धाओं को 50 लाख रुपये के चिकित्सा बीमा कवर देने की घोषणा कर चुकी है। इस योजना का लाभ पटवारियों, ग्राम सेवकों, कांस्टेबल्स, सफाई कर्मचारियों, स्वास्थ्य कर्मचारियों, होमगार्ड्स, नागरिक सुरक्षा, आशा वर्कर्स और आंगनवाड़ी कार्यकतार्ओं को मिलेगा। 

योजना का उद्देश्य कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल बढ़ाना है,ताकि वे पूरे उत्साह के साथ कार्य कर सकें। लेकिन देश में एक सेक्टर ऐसा भी है,जिसके कर्मचारी दिन रात,तीनों शिफ्ट में पूरे उत्साह के साथ काम कर रहे हैं,लेकिन न तो उन्हें कोरोना वारियर्स की श्रेणी में रखा गया है और ना ही उनकी मौत होने की स्थिति में 50 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिया जाएगा। 

हम बात कर रहे हैं कोल इंडिया लिमिटेड की,जिसके लाखों कर्मचारी दिन-रात कोयला उत्पादन में तन-मन से लगे हुए हैं। कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल), साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) या फिर हो महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल),इन सभी कंपनियों के बंद और खुले खादानों में चौबीसों घंटे कोयले का खनन हो रहा है।

कोलकर्मी प्रतिदिन लाखों टन कोयले का उत्पादन कर रहे हैं,ताकि देश के तमाम उद्योगों, पॉवर पलांट्स और अन्य इकाइयों को निर्बाध गति से चलाया जा सके। देशवासियों के लिए चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। लेकिन जान जोखिम में डालकर देश की सेवा में तत्पर इन लाखों कोलकर्मियों को कोरोना वारियर्स की श्रेणी में नहीं रखा गया है। 

देश में महामारी बन चुका कोरोना वायरस इन्हें भी अपनी चपेट में ले सकता है। इन्हें भी बीमार बना सकता है। इन्हें भी मौत की नींद सुला सकता है। लेकिन किसी अनहेनी की स्थिती में इनके परिजनों को मुआवजे के तौर पर वो 50 लाख रुपये की राशि नहीं मिलेगी। 

थोड़ी देर के लिए यह मान लें कि जो कोलकर्मी कोल इंडिया का कर्मचारी है,उसकी मृत्यु होने पर, उसके परिजनों को कंपनी की ओर से पेशन,ग्रेच्यूटी और डेथ क्लेम और संभव है कंपनी की ओर से कुछ मुआवजा मिल भी जाएगा,लेकिन उसका क्या जो किसी आउटसोर्सिंग एजेंसी के जरिए विभाग को सेवा दे रहे रहा है, जो 12 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह कमा कर अपने परिवार का पालन कर रहा है।

क्या आउटसोर्सिंग एजेंसियों अपने ऐसे कर्मचारियों को किसी अनहोनी की स्थिति में कोई मुआवजा देंगी? क्या ऐसे कोलकर्मी कोरोना वारियर्स की तरह लाभान्वित होंगे? क्या इनके परिवार को पेंशन समेत अन्य सुविधाएं दी जाएंगी? शायद नहीं,लिहाजा,कोल इंडिया के श्रमिक संगठन तमाम कोलकर्मियों को भी कोरोना वारियर्स की श्रेणी में रखने की मांग कर रहे हैं।