जस्टिस एस. अब्दुल नजीर को मिली ‘जेड श्रेणी’ की सुरक्षा, PFI से मिली थी धमकी, अयोध्या मामले का फैसला देने वाली पांच जजों की बेंच में शामिल थे नजीर
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों के जवान के साथ कर्नाटक पुलिस भी जस्टिस नजीर और उनके परिजनों की सुरक्षी करेगी। जस्टिस नजीर जब कर्नाटक के बेंगलुरू, मंगलुरू और राज्य के किसी भी हिस्से में सफर करेंगे,तो उन्हें कर्नाटक कोटे से ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। यही सुरक्षा उनके परिजनों को भी दिया जाएगा। ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा में अर्द्धसैनिक और पुलिस के करीब 22 जवान तैनात होते हैं।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जस्टिस एस. अब्दुल नजीर को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करवाने का निर्णय लिया है। अयोध्या मामले पर सुनवाई करने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस अब्दुल नजीर और उनके परिजनों को यह सुरक्षा दी गई है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई की ओर से धमकी दिए जाने के बाद केंद्र सरकार ने उनको ये सुरक्षा देने का निर्णय लिया है।
गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स यानी सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस को जस्टिस नजीर और उनके परिवार को सुरक्षा देने के तत्काल निर्देश दिए हैं। सरकार ने इससे पहले 9 नवंबर को अयोध्या मामले का फैसला आने से पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को ‘जेड’ श्रेणी सुरक्षा मुहैया करवाई थी।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों के जवान के साथ कर्नाटक पुलिस भी जस्टिस नजीर और उनके परिजनों की सुरक्षी करेगी। जस्टिस नजीर जब कर्नाटक के बेंगलुरू, मंगलुरू और राज्य के किसी भी हिस्से में सफर करेंगे,तो उन्हें कर्नाटक कोटे से ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। यही सुरक्षा उनके परिजनों को भी दिया जाएगा। ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा में अर्द्धसैनिक और पुलिस के करीब 22 जवान तैनात होते हैं।
दरअसल, खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को बताया था कि जस्टिस नजीर की जान को पीएफआई और अन्य संगठनों से खतरा है। जिसके बाद गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स और स्थानीय पुलिस को जस्टिस नजीर को सुरक्षा देने का आदेश दिया है।
आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर 2.77 एकड़ की विवादित जमीन राम मंदिर के निर्माण का आदेश दिया है और सरकार से मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने को कहा है। अयोध्या मामले के अलावा जस्टिस नजीर ट्रिपल तलाक पर गठित पांच सदस्यीय पीठ में भी सदस्य थे। इसे 2017 में असंवैधानिक करार दे दिया गया था। जस्टिस नजरी 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए गए थे।
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